जगदलपुर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । बस्तर संभाग मुख्यालय में 75 दिनों तक मनाये जाने वाले रियासतकालीन ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व की मुख्य रस्मों की शुरूआत 4 अगस्त को पाट जात्रा पूजा विधान के साथ हो गई है।इसके बाद आज साेमवार काे दूसरी रस्म डेरीगड़ाई पूजा विधान के तहत परंपरानुसार बिरिंगपाल से लाई गई साल के पेड़ की लकड़ी को लाई, चना, मोंगरी मछली व अंडा अर्पित कर डेरीगड़ाई पूजा विधान परंपरानुसार दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी प्रेम पाढ़ी ने संपन्न करवाया।
इस दाैरान बस्तर सांसद एवं पदेन बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष लक्ष्मण मांझी और बस्तर संभाग के कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर कलेक्टर हरिस एस,अपर कलेक्टर सीपी बघेल, तहसीलदार एवं सचिव बस्तर दशहरा समिति रुपेश मरकाम तथा मांझी-चालकी,मेम्बर-मेम्बरीन,पुजारी-सेवादार एवं बस्तर दशहरा समिति के सदस्यों के साथ ही बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों ने डेरी गड़ाई पूजा विधान में श्रद्धापूर्वक सहभागिता निभाई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि डेरी गड़ाई पूजा विधान के बाद रथ निर्माण के लिए लकड़ी सिरहासार चौक में लाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा, रथ निर्माण की लकड़ी पंहुचने के साथ ही विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण की प्रकिया शुरू हो जायेगी। बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण की प्रक्रिया जिसमें स्थानिय ग्रामीण परंपरानुसार पारंपरिक औजारों से रथ का निर्माण करते हैं। प्रति वर्ष बस्तर दशहरा पर्व में संचालित होने वाले एक नये दुमंजिला रथ का निर्माण किया जाता है, जिसमें एक वर्ष 4 पहिये के फूल रथ तथा दूसरे वर्ष 8 पहिये के रैनी रथ का निर्माण होता है। इस वर्ष 8 पहिये वाले रैनी रथ का निर्माण किया जायेगा। बस्तर दशहरा में दोनों ही रथों का परिचालन किया जाता है।चार पहिये के फूल रथ की परिक्रमा नवरात्र के कलश स्थापना के बाद 5 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 10 अक्टूबर तक जारी रहेगी। आठ पहिये के रैनी रथ का परिचालन 2 दिन 14 एवं 15 अक्टूबर को किया जायेगा।रथ परिचान से पहले तीसरी रस्म काछनगादी पूजा विधान, चाैथी रस्म कलश स्थापना पूजा विधान एवं पांचवी रस्म जाेगी बिठाई पूजा विधान संपन्न की जायेगी।
(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे