
शिमला, 05 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में वेतन न मिलने से नाराज शिक्षकों और गैर-शिक्षकों ने सोमवार को कुलपति कार्यालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) और गैर-शिक्षक संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस धरने में कर्मचारियों ने सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की असंवेदनशीलता को जिम्मेदार ठहराया।
शिक्षकों व कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय का वेतन शिक्षा सचिव और निदेशक उच्च शिक्षा की लापरवाही के चलते समय पर नहीं मिल सका। वेतन से संबंधित फाइल दस दिनों तक शिक्षा सचिव की मेज पर पड़ी रही, लेकिन उस पर हस्ताक्षर नहीं किए गए। प्रदर्शनकारियों ने इस देरी की जांच की मांग की।
धरने में भाग लेने वाले शिक्षकों ने कक्षाओं का पूर्ण बहिष्कार करते हुए चेतावनी दी कि अगर हालात नहीं सुधरे तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। कुलपति कार्यालय के बाहर तीन घंटे तक कर्मचारियों ने नारेबाजी की और प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट किया। हपुटवा के अध्यक्ष डॉक्टर नितिन व्यास ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एक स्टेट यूनिवर्सिटी है, इसलिए यहां के कर्मचारियों के वेतन की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, लेकिन अब स्थिति यह है कि हर महीने विश्वविद्यालय को अनुदान के लिए सरकार के पास कटोरा लेकर जाना पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से स्थायी रजिस्ट्रार नहीं है, जिससे प्रशासनिक कार्य बाधित हो रहे हैं और फाइलों का ढेर लग गया है। इससे विश्वविद्यालय की सामान्य कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने यह आरोप भी लगाया कि कुछ प्रशासनिक अधिकारी विश्वविद्यालय की छवि को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की साजिश में शामिल हैं। यह विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य है कि उसे बदनाम करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं।
धरने के बाद कर्मचारी प्रतिकुलपति से मिले और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि अगले तीन दिनों के भीतर वेतन वितरण की व्यवस्था की जाए और भविष्य में इस तरह की देरी न हो। इसके साथ ही शिक्षकों ने सीएएस और कर्मचारियों ने आरपीसी प्रक्रिया में हो रही देरी, 2016 के वेतनमान के एरियर और पूर्ण डीए न मिलने पर भी नाराजगी जताई।
—————
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
