Madhya Pradesh

मुरैना : कैलारस शक्कर फैक्ट्री को आरंभ कराने की मांग

मुरैना : कैलारस शक्कर फैक्ट्री को आरंभ कराने की मांग

मुरैना, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । लम्बे अर्से के बाद कांग्रेस द्वारा विपक्षी दलों के साथ मिलकर कैलारस शक्कर फैक्ट्री को आरंभ कराने के साथ कर्मचारियों व किसानों के स्वत्वों का भुगतान हेतु की जा रही भूमि की नीलामी को रोकने के लिये किये गये धरना प्रदर्शन व सत्याग्रह की सफलता के बाद अब कैलारस तहसील मुख्यालय पर किसानों का विशाल ट्रैक्टर मार्च निकाला जायेगा।

यह घोषणा करते हुये जौरा के कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय ने बुधवार को सरकार पर आरोप लगाया कि शक्कर फैक्ट्री को आरंभ कराने की मंशा नहीं है। प्रदेश के कई बंद हो चुकी इकाईयों में कार्यरत कर्मचारियों व अन्य स्वत्वों का भुगतान करने के लिये सरकार करोड़ों रूपये खर्च करने की योजना बना रही है, लेकिन कैलारस शक्कर फैक्ट्री को आरंभ कराने के लिये कोई प्रयास नहीं किये जा रहे। इस शक्कर फैक्ट्री को मात्र 34 करोड़ रुपये में आरंभ किया जा सकता है, जिसमें सभी कर्मचारियों व किसानों के स्वत्वों का भुगतान भी हो सकता है। विधायक ने चेतावनी दी है कि जब तक शक्कर फैक्ट्री आरंभ नहीं की जायेगी तब तक आंदोलन चरणबद्ध तरीके से संचालित होता रहेगा।

चम्बलांचल में ग्रामीण युवाओं को रोजगार प्रदान करने तथा किसानों की आय को बढ़ाने के लिये कैलारस तहसील मुख्यालय पर शक्कर फैक्ट्री लगभग पांच दशक पूर्व स्थापित की गई थी। उत्पादन इकाई के साथ लगभग 300 बीघा कृषिभूमि भी फैक्ट्री प्रबंधन को गन्ना उत्पादन के लिये दी गई थी।

धीमी गति से संचालित इस फैक्ट्री की सांसें 2008 में बंद होने लगीं। लगभग 2-3 वर्ष चलने के बाद यह स्थाई रूप से बंद हो गई। इस फैक्ट्री संचालन के दौरान ग्वालियर चम्बल संभाग के 10 हजार से अधिक किसान गन्ने का उत्पादन कर बिक्री करते थे। फैक्ट्री बंद होने के बाद धीरे-धीरे गन्ने की फसल खेतों से लापता हो गई। किसी समय 10 हजार हैक्टेयर से अधिक भूमि में होने वाली गन्ने की फसल अब सैकड़ों हैक्टेयर मेें की जा रही है। फैक्ट्री बंद होने के बाद कर्मचारियों तथा किसानों के स्वत्वों का भुगतान किया जाना था, यह धीरे-धीरे लगभग 4 करोड़ तक पहुंच गया है। कुछ वर्ष पूर्व 59 कर्मचारियों द्वारा उच्च न्यायालय में स्वत्वों का भुगतान कराने के लिये गुहार लगाई थी, जिस पर विद्वान न्यायमूर्तिगण द्वारा 59 कर्मचारियों के लगभग 1 करोड़ 47 लाख रूपये और 3 वर्ष का ब्याज मिलाकर कुल राशि लगभग 1 करोड़ 99 लाख रूपये का भुगतान किये जाने के आदेश सरकार व प्रशासन को दिये। इस भुगतान हेतु सहकारी विभाग द्वारा शक्कर फैक्ट्री की 4 बीघा कृषि भूमि को नीलामी के माध्यम से विक्रय किये जाने की प्रक्रिया थी। किसानों व फैक्ट्री के शुभचित्तकों द्वारा इसका विरोध प्रदर्शन कर धरना प्रदर्शन किया गया।

सरकारी दर से आधे में बिक रहीं हैं निजी भूमि –

प्रशासन के निर्देशन में सहकारिता विभाग द्वारा शक्कर फैक्ट्री की 4 बीघा कृषि भूमि को खरीदने के लिये 4 लोगों ने अपना पंजीयन प्रक्रिया के तहत कराया, लेकिन बोली लगाने से इन्कार कर दिया। दबी जुवान से यह चर्चा कैलारस तहसील के बाहर रही थी कि सहकारिता विभाग द्वारा बोली दाताओं को जमीन दूसरी दिखाई और बिक्री की जमीन एमएस रोड़ से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर थी। जिस जमीन को सहकारिता विभाग बिक्री कर रहा था उसके आसपास निजी जमीन की कीमत 30 से 35 लाख रूपये प्रति बीघा की बताई जा रही है। जबकि सहकारिता विभाग 4 बीघा कृषि भूमि को 2 करोड़ 60 लाख रूपये में बिक्री करना चाहता था।

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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा

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