Uttrakhand

अर्धकुंभ को पूर्ण महाकुंभ की तरह भव्य और दिव्य बनाए जाने की मांग

Tanmay Vashishtha

हरिद्वार, 13 फरवरी (Udaipur Kiran) । प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले का रंग अब देवनगरी हरिद्वार में भी दिखने लगा है। यहां 2027 में हाेने वाले अर्धकुंभ को लेकर अभी से ही माहौल गर्म हो गया है। बीते दिनाें प्रशासन ने अर्धकुंभ मेले की तैयारी को लेकर बैठक की चुकी है, वहीं मुख्यमंत्री ने भी 2027 अर्धकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने का ऐलान कर दिया है। इसी बीच श्री गंगा सभा ने भी हरिद्वार अर्धकुंभ को पूर्ण महाकुंभ की तरह भव्य और दिव्य बनाए जाने की मांग उठाई है।

गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि इस बार संयोग की बात है कि जब हरिद्वार अर्धकुंभ और उज्जैन के सिंहस्थ महाकुंभ की तिथियां आपस में नहीं मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि जब हरिद्वार में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होता है, उस समय उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होता है। जिसकी वजह से हमारे अखाड़े, साधु, संत और नागा बाबा हरिद्वार में अमृत स्नान और पेशवाई नहीं करते हैं। जब प्रयागराज में अर्धकुंभ होता है, उस समय कहीं पर भी महाकुंभ का आयोजन नहीं होता है। जिस कारण अखाड़े और साधु संत प्रयागराज अर्धकुंभ में भी पूर्ण कुंभ की तरह पेशवाई निकालते हैं और अमृत स्नान करते हैं। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में अर्धकुंभ 2027 होगा और उज्जैन में 2028 में महाकुंभ होगा।

साल 2021 में महाकुंभ हरिद्वार में हुआ था, वह 11 वर्ष बाद पड़ा था। जिसकी वजह से इस बार हरिद्वार अर्धकुंभ और उज्जैन सिंहस्थ कुंभ की तिथि आपस में नहीं टकरा रही हैं। जिसके चलते हमें पहली बार ऐसा अवसर प्राप्त हो रहा है। आगामी अर्धकुंभ में हरिद्वार में भी अमृत स्नान और पेशवाई होनी चाहिए और इसे पूर्ण कुंभ की तरह ही मनाया जाना चाहिए।

उन्हाेंने कहा कि कोरोना के चलते कहीं ना कहीं 2021 महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता में कुछ कमी रह गई थी, जिसे 2027 अर्धकुंभ में पूरा किया जा सकता है। जिसके लिए सभी अखाड़ों साधु-संतों और सरकार से बातचीत की जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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