Uttrakhand

उत्तराखंड को अनुसूची 5 व अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग

कार्यक्रम में उपस्थित रहे लोग।

नैनीताल, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राज्य की सांस्कृतिक पहचान बनाये रखते हुए समग्र विकास के लिये उत्तराखंड को संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल करने और इसके लिये राज्य के मूल निवासी कुमाउनी व गढ़वाली लोगों को अनुसचित जाति का दर्जा दिये जाने की आवश्यकता है। यह बात रविवार को नैनीताल समाचार में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड एकता मंच के सदस्यों ने कही और कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने इसका समर्थन किया।

उत्तराखंड को संविधान की पांचवी अनुसूचि में शामिल किये जाने की राज्य की जनता को आवश्यकता समझाये जाने के लिये उत्तराखंड एकता मंच की 138वीं बैठक नगर में आयोजित की गयी। बैठक में नगर के गणमान्यजनों को संबोधित करते हुए मंच के संजय राठौर, महेंद्र रावत, अनूप बिष्ट व श्याम सिंह रावत ने कहा कि देश के 11 पर्वतीय राज्यों में केवल उत्तराखंड ही संविधान की पांचवी या छठी अनुसूचि में शामिल नहीं है। इसके कारण ही राज्य में 1972 से लागू वन पंचायत अधिनियम के कारण राज्य वासी वनों से संबंधित अपने मूल अधिकारों से विहीन हुए हैं। साथ ही राज्य के अनुसूचित जातियों के अतिरिक्त सामान्य वर्ग के लोगों को मूल निवास संबंधी 1950 के गजट नोटिफिकेशन के उल्लेख के बिना पूर्व में मूल निवास और वर्तमान में निवासी, स्थायी निवासी आदि प्रमाण पत्र दिये जाते हैं। साथ ही कोई भी बाहरी व्यक्ति राज्य में केवल 15 वर्ष रहकर राज्य के मूल निवासियों की तरह स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेता है।

राज्य के मूल निवासियों को अतिरिक्त लाभ मिलें और इस सीमावर्ती राज्य की अलग संस्कृति व देश की सुरक्षा बनी रहे, इसके लिये सबसे पहले राज्य के मूल कुमाउनी व गढ़वाली लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना जरूरी है। इसके लिये वे अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान, भाषा, खान-पान, त्योहार, परंपराएं, वनों पर निर्भरता, शक व विक्रम संवत से अलग चैत्र 1 गते से शुरू होने वाला अलग पंचांग अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त करने की पूर्ण योग्यता भी रखते हैं। केवल इसके लिये पहल करने की आवश्यकता है और इस हेतु प्रयास भी तेजी से चल रहे हैं। इसके बाद राज्य को संविधान की पांचवी अनुसूचि में शामिल किये जाने की भी पूरी संभावना हो जाएगी। बताया कि संविधान की पांचवी अनुसूचि में शामिल होते ही राज्य वासी स्वतः ही मूल निवास 1950 का कानून लागू हो जाएगा। राज्य वासियों को केंद्रीय एवं राज्य सेवाओं में अतिरिक्त आरक्षण, राज्य की ग्राम पंचायतों को लाइसेंस व ठेके देने का अधिकार मिल जाएगा। बैठक में राजीव लोचन साह, डॉ. नवीन जोशी, बसंत पांडे, दिनेश उपाध्याय, त्रिभुवन फर्त्याल, चंपा उपाध्याय, माया चिलवाल, लीला बोरा, महेंद्र रावत, तरुण जोशी, बिशन सिंह मेहता, प्रयाग जीना, भगवंत राणा, गौरव गोस्वामी, गोपाल बिष्ट, कुबेर मनराल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

Most Popular

To Top