-गुरुग्राम विवि में आयोजित संगोष्ठी में रखी गई यह मांग
-हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया कार्यक्रम
गुरुग्राम, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गुरुग्राम इकाई और भारतीय ज्ञान एवं भाषा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा के विख्यात साहित्यकार बाबू बालमुकुन्द गुप्त पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कलाम कक्ष में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. दिनेश कुमार तथा अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा द्वारा किया गया। वाणी वन्दना कवयित्री वीणा अग्रवाल ने किया। परिषद् गीत के पश्चात् कार्यक्रम में सर्वप्रथम उद्बोधन में कुलपति प्रो.दिनेश कुमार ने हिन्दी भाषा की प्रासंगिकता तथा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिये अक्सर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की। हरियाणा के ऐसे ख्याति प्राप्त साहित्यकार के विषय में जानकर उन्हें प्रसन्नता हुई।
संगोष्ठी का बीज वक्तव्य अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गुरुग्राम इकाई की उपाध्यक्ष विधु कालरा ने किया। भारतीय ज्ञान एवं भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार योगी ने हिन्दी की बदलती हुई दशा और दिशा पर विशेष प्रकाश डाला। नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम में बाबू बालमुकुन्द गुप्त को समाहित करने का प्रस्ताव रखा। अध्यक्षीय भाषण में प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि हिन्दी के निर्माता बाबू बालमुकुन्द गुप्त ने दधीचि की तरह हड्डियों को गलाकर हिन्दी साहित्य को रचा है। उन्होंने कहा कि बाबू बालमुकुन्द गुप्त की जन्मस्थली हरियाणा के रेवाड़ी जिला के गुडियानी गांव में है। उनके लेखन में राष्ट्र के प्रति समर्पण सर्वत्र दृष्टिगत होता है। ऐसे निर्भीक पत्रकार एवं वक्रोक्ति और व्यंग्योक्ति के सफल रचनाकार से उपस्थित जनसमुदाय को परिचित करावाया। समाजसेवी डॉ. रश्मि अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रक्र का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गुरुग्राम इकाई की महामंत्री डॉ. मीनाक्षी पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में श्रोता के रूप में त्रिलोक कौशिक, डॉ. विजय नागपाल, राजेश्वर वशिष्ठ, डॉ. प्रवीण शर्मा, दीपशिखा श्रीवास्तव, प्रीति मिश्रा, डॉ. सुप्रिया बरखा यादव, ज्योति, काजल, यश और मुकेश समेत अनेक लोग मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) हरियाणा