Uttrakhand

मूल निवास व भू कानून लागू करने की मांग

फोटो कैप्शन-11 एनटीएच 21-गुरूवार को स्थानीय लोगों ने भूकानून व मूल निवास को लेकर डीएम दीक्षित को सौंपा ज्ञापन

-स्थानीय बोले जनभावनाओं के अनुरूप नहीं हो रहा राज्य का विकास

नई टिहरी, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले स्थानीय लोगों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मूल निवास व भू कानून के साथ ही उत्तराखंड के हित में कई मांगों पर कार्यवाही की मांग की।

स्थानीय लाेगाें ने कहा कि प्रदेश को बने 24 साल हो गये हैं, लेकिन जनभावनाओं के अनुरूप राज्य की प्रगति नहीं हो रही है। उनके द्वारा जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में प्रदेश में सख्त भू कानून और मूल निवास की मांग की गयी। इसके साथ ही मांग करते बताया कि जनभावनाओं के अनुरूप प्रदेश की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाया जाय। राज्य आंदोलन में शामिल कर्मचारी-शिक्षकों को एक साल की अतिरिक्त सेवा और दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि दी जाय। पर्वतीय क्षेत्रों की नौकरी के लिए गढ़वाली व कुमांउनी भाषा की अनिवार्यता लागू की जाय। पुरानी पेंशन बहाली के साथ ही बेरोगारी भत्ता दिया जाय। राज्य आंदोलन में भूमिका निभाने वाले पत्रकारों व ढोल वादकों को भी आंदोलनकारी घोषित किया जाय। आंदोलन में शामिल अधिवक्ताओं व पत्रकारों को राज्य आंदोलनकारी सम्मान दिया जाय। आंदोलन के सहयोगी मोटर मालिकों को एक साल का टैक्स माफ किया जाय। सहयोगी व्यापरियों का एक साल की जीएसटी माफ की जाय। छुटे आंदोलनकारियों की चिह्नीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाय। सरकारी निर्माण कामों में स्थानीय ठेकेदारों को वरियता दी जाय।

ज्ञापन प्रेषित करने वालों में संयुक्त संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष डाॅ. राकेश भूषण गोदियाल, कुलदीप पंवार, चंडी प्रसाद डबराल, कमल महर, हरि सिंह मखलोगा, इंद्र, बृजेश खाती, राजेंद्र सिंह असवाल, ज्योति प्रसाद भट्ट, मुर्शरफ अली, उत्तम तोमर, टीकम सिंह चौहान, शाति प्रसाद भट्ट, शक्ति प्रसाद जोशी, प्रदीप सजवाण आदि मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / प्रदीप डबराल

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