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पेंशन सेवानिवृत्ति का विकल्प देने वाले सहायक प्रोफेसर को ग्रेच्युटी की मांग सही नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-नियंत्रक प्राधिकारी का ग्रेच्युटी भुगतान करने का आदेश रद्द, कालेज प्रबंध समिति की याचिका मंजूर

प्रयागराज, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य विश्वविद्यालय या सम्बद्ध कालेज के अध्यापकों या स्टाफ ने यदि 60 साल में बिना ग्रेच्युटी के पारिवारिक पेंशन विकल्प चुना है तो बाद में उसे ग्रेच्युटी का दावा करने का अधिकार नहीं है।

इसी के साथ कोर्ट ने नियंत्रक प्राधिकारी ग्रेच्युटी एक्ट के रिटायर्ड अध्यापक को ग्रेच्युटी का भुगतान करने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सी के राय ने प्रबंध समिति कुल भास्कर आश्रम पी जी कालेज प्रयागराज की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

मालूम हो कि विपक्षी सहायक प्रोफेसर डा श्याम लाल गुप्ता 30 जून 2002 को सेवानिवृत्त हुए और वह नियमित पेंशन पा रहे हैं। ग्रेच्युटी का भुगतान करने की अर्जी दी जिसे स्वीकार करते हुए नियंत्रक प्राधिकारी ने 22 जनवरी 15 को ग्रेच्युटी का 350,000 रूपये के भुगतान करने का आदेश दिया। जिसे कालेज प्रबंध समिति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट ने कहा नियंत्रक प्राधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील होनी चाहिए थी। किंतु 2015 मे आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा गया और याचिका पर दोनों पक्षों की तरफ से जवाब व प्रति जवाब दाखिल हो चुका है। ऐसी स्थिति में प्रकरण वापस अपील के लिए भेजना उचित नहीं होगा। इसलिए कोर्ट मेरिट पर तय कर रही है।

कोर्ट ने कहा राज्य विश्वविद्यालय एक्ट की धारा 33 में उपबंध किया गया है। इसलिए ग्रेच्युटी भुगतान कानून की धारा 2(ई) इस मामले में लागू नहीं होगी। याची ने सेवानिवृत्ति विकल्प भरा था और ग्रेच्युटी छोड़ दी थी। पेंशन व पारिवारिक पेंशन का विकल्प दिया था। इसलिए उसे ग्रेच्युटी का दावा करने का अधिकार नहीं है। नियंत्रक प्राधिकारी का आदेश विधि सम्मत नहीं है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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