नैनीताल, 8 जनवरी (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टॉफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 14 फरवरी तक प्रगति रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि केंद्र सरकार की दिव्यांगजन के लिए जारी योजनाओं को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने क्या नीति अपनाई है, इसका विवरण प्रस्तुत किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव, सचिव समाज कल्याण, और गढ़वाल-कुमाऊं के मंडलायुक्त दीपक रावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। स्वास्थ्य सचिव ने माना कि दिव्यांगजनों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ अभी पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है और इन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए समय की आवश्यकता है।
याचिका रोशनी नामक संस्था की ओर से दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार के फंड से राज्य के जिलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों में विभिन्न श्रेणियों के दिव्यांगजनों की मदद के लिए विशेषज्ञ स्टॉफ और अन्य ढांचागत सुविधाओं की व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसके बावजूद टिहरी जिले को छोड़कर अन्य जिलों में यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिससे दिव्यांगजन इस महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है, जहां दिव्यांगजनों की संख्या अधिक है और इन योजनाओं का शीघ्र क्रियान्वयन आवश्यक है।
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(Udaipur Kiran) / लता