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दिल्ली यूनिवर्सिटी को हाई कोर्ट की फटकार, 27 सितंबर को मतदान की मंजूरी

दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

– गन्दी की गई सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई पूरी होने तक मतगणना पर रोक लगाई

नई दिल्ली, 26 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किए जाने पर दिल्ली विश्वविद्यालय को फटकार लगाई है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने 27 सितंबर को होने वाले मतदान की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि जब तक गन्दी की गई सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई नहीं हो जाती, तब तक मतगणना नहीं होगी।

हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय और सभी कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिया कि वे मतदान के बाद ईवीएम और बैलेट बॉक्स को अगले आदेश तक सुरक्षित और संरक्षित रखें। हाई कोर्ट ने कहा है कि जितनी भी सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किया गया है, उसकी सफाई में आने वाली लागत की भरपाई दिल्ली विश्वविद्यालय को करनी होगी। हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय बाद में इस पैसे की भरपाई चुनाव लड़ने वाले उन उम्मीदवारों से कर सकती है, जिन्होंने उक्त अपराध किया है।

हाई कोर्ट ने 25 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव के खर्च पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है। यह स्थिति देश के आम चुनाव से भी बुरी है। कोर्ट ने कहा था कि यह लोकतंत्र का उत्सव है न कि मनी लांड्रिंग का उत्सव है। इस तरह के सिस्टम से युवाओं को करप्ट नहीं होने देना चाहिए।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या कोई रिकॉर्ड है कि चुनाव में कितना पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने कहा था कि पोस्टर दीवारों और सड़कों पर लगाए जा रहे हैं। इस तरह से पैसे को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए। आपको इसके लिए सख्त एक्शन लेना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि जिन उम्मीदवारों के नाम के पोस्टर लगे हुए है उन पोस्टरों को हटाने का पैसे उनसे ही वसूला जाए। यह चुनाव कोई अकेले नहीं लड़ रहा है बल्कि चुनाव में संगठन शामिल हैं। आप अपने को इतना असहाय महसूस मत करिए।

सुनवाई के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया था कि हमने सभी 21 उम्मीदवारों को सर्कुलर जारी कर लिंगदोह कमेटी के दिशा-निर्देश का पालन करने और पोस्टर-बैनर को 25 सितंबर शाम 5 बजे तक हटाने के निर्देश दिए। दिल्ली विश्वविद्यालय की चुनाव समिति इसपर पैनी नजर रखे हुए है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया था कि लोगों को आ रही दिक्कतों को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और उम्मीदवारों के साथ एक बैठक भी बुलाई गई जिसमें सिर्फ दो उमीदवार शामिल हुए और चार लिखित जवाब मिले।

उल्लेखनीय है कि 24 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने पूरे शहर में पोस्टर और नारे लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए दिल्ली पुलिस, दिल्ली विवि प्रशासन, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा था कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को अयोग्यता का नोटिस क्यों नहीं जारी किए गए।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) पाश

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