Delhi

स्कूल परिसर के चार कमरों में चल रही है ‘दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी: विजेंद्र गुप्ता

नेता प्रतिपक्ष ने यूनिवर्सिटी का किया औचक निरीक्षण

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एक बार फिर से दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आआपा) की सरकार की तथाकथित शिक्षा क्रांति की पोल खोलते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार बिना किसी ठोस योजना के एजुकेशन प्रोजेक्ट बना लेती है और उस पर करोड़ों रुपए बर्बाद कर देती है। नेता प्रतिपक्ष ने आज आआपा सरकार की झूठी शिक्षा क्रांति के ‘पोल खोल अभियान’ के अंतर्गत दिल्ली सरकार के मुखर्जी नगर स्थित ‘दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी’ का औचक निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि इस शैक्षणिक परिसर में दो स्कूल हैं। इनमें सुबह-शाम की दो पालियों में लगभग 5 हजार बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन इस परिसर के केवल पांच फीसदी हिस्से में फर्स्ट फ्लोर पर टीचर्स को ट्रेनिंग दिलाने के उद्देश्य से बनाई गई यूनिवर्सिटी में केवल चार क्लासरूम ही हैं, जिनमें टीचर्स ट्रेनिंग की बजाय स्नातक और परास्नातक की कक्षाएं चल रही हैं। इनमें बीए के प्रथम वर्ष में 12 छात्र, एमए प्रथम वर्ष में 22 छात्र और एमए द्वितीय वर्ष में 28 छात्र पढ़ रहे हैं।

गुप्ता ने बताया कि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2024-2025 में बीए प्रथम वर्ष में कुल 35 छात्रों ने एडमिशन लिया था, जिसमें से 23 छात्रों ने बाद में अपनी फीस वापस ले ली और अब यहां केवल 12 विद्यार्थी ही रह गये हैं।

गुप्ता ने कहा कि 4 मार्च 2022 को दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बड़े जोर शोर के साथ इस यूनिवर्सिटी का उद्घाटन किया था और कहा था कि दिल्ली के टीचर्स को विश्व स्तरीय टीचिंग प्रदान करने के लिए इसकी स्थापना की जा रही है, जिसमें ट्रेनिंग लेकर हमारे टीचर्स ‘ग्लोबल लेवल’ के टीचर्स से टक्कर ले सकेंगे ।

विजेंद्र गुप्ता ने हैरानी जताई कि 2022 में खुली इस यूनिवर्सिटी को चालू नहीं किया गया, क्योंकि इसकी स्थापना के लिए वैधानिकरूप से जरूरी ‘एक्ट’ नहीं बन पाया और गजट नोटिफिकेशन ही नहीं निकाला जा सका । दो साल बीत जाने के बावजूद यहां पर टीचर ट्रेनिंग जैसी कोई गतिविधि नहीं चल रही है। शिक्षा के नाम पर बीए और एमए जैसी साधारण कक्षाएं चलाई जा रही हैं और उनमें भी केवल 62 छात्र ही पढ़ रहे हैं । ये छात्र भी यहां के संसाधनों को देखकर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।

गुप्ता ने इस यूनिवर्सिटी के उद्देश्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब दिल्ली में पहले से ही आईपी यूनिवर्सिटी, एससीईआरटी और अंबेडकर यूनिवर्सिटी मौजूद हैं और जिनके अंतर्गत लगभग एक सौ कॉलेज चल रहे हैं और जिनमें बीएड, डीआीईटी और एमएड सहित सैकड़ों पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं तो ऐसे में इस दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी को बनाकर लावारिस क्यों छोड़ दिया गया। इनमें बीएड, एमएड या डीआईईटी की पढ़ाई क्यों नहीं करवाई जा रही है।

उन्होंने पूछा कि क्या सिर्फ शैक्षणिक संस्थान खोलकर उन्हें लावारिस छोड़ देना ही ‘शिक्षा क्रांति’ है? क्या टीचर्स को ट्रेनिंग देने के नाम पर बने संस्थान में निर्धारित पाठ्यक्रमों को दोड़कर अन्य साधारण पाठ्यक्रम चलाना ही ‘शिक्षा क्रांति’ है।

गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की शिक्षा क्रांति की पोल खोलने का हमारा अभियान ऐसे ही चलता रहेगा और दिल्ली में जनता के पैसे की बर्बादी कर बनाई गई इस यूनिवर्सिटी पर हम कल विधानसभा सत्र में ‘ध्यानाकर्षण प्रस्ताव’ के माध्यम से सरकार से इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग करेंगे।

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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी

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