नई दिल्ली, 18 फरवरी (Udaipur Kiran) । दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान घायल लोगों से पुलिस द्वारा पिटाई करने और जबरन जन-गण-मन गवाने से जुड़े मामले में ज्योति नगर थाने के एसएसओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया।
सेशंस जज ने कहा कि एसएचओ लोकसेवक है और उस पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने से पहले अनुमति लेनी होती है। मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ ज्योति नगर थाने के एसएचओ शैलेंद्र तोमर ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 18 जनवरी के अपने आदेश में भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को एमपी-एमएलए कोर्ट जाने का निर्देश दिया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की ओर से दायर एक्शन टेकन रिपोर्ट में कपिल मिश्रा को लेकर पूरी तरह खामोश रहने पर नाराजगी जताई थी और ज्योति नगर थाने के एसएसओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि या तो जांच अधिकारी ने कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई जांच नहीं की या उसने कपिल मिश्रा के खिलाफ आरोपों को छिपाने की कोशिश की। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि आरोपित कपिल मिश्रा सार्वजनिक व्यक्ति हैं और उनके बारे में ज्यादा जांच की जरूरत है क्योंकि ऐसे लोग जनता के मत को सीधे-सीधे प्रभावित करते हैं। सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति को संविधान के दायरे में रहने की उम्मीद की जाती है।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह के बयान दिए गए हैं वे सांप्रदायिक सद्भाव पर बुरी तरह असर डालते हैं। ऐसे बयान अलोकतांत्रिक होने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर हमला है। ऐसे बयान संविधान के मूल चरित्र का खुला उल्लंघन है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए सांप्रदायिक और धार्मिक सद्भाव से जुड़ा हुआ है। ये देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी से भी जुड़ा हुआ है। आरोपित को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठाने का हक है वैसे ही उस पर सांप्रदायिक सद्भाव को संरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी है।
कपिल मिश्रा ने हालिया विधानसभा चुनाव में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की है। मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत मोहम्मद वसीम ने दायर की थी।
23 जुलाई 2024 को हाई कोर्ट ने दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पुलिस द्वारा पांच मुस्लिम युवकों की पिटाई करने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। दरअसल सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें पांच मुस्लिम युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं और उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं। ये युवक जमीन पर असहाय रुप ये लेटे हुए हैं और पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है।
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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह
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