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दिल्ली पुलिस कर्मी केंद्रीय कर्मचारी, जीवन साथी के तबादले में वरीयता अंक पाने के हकदार

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-बीएसए व एकलपीठ का दिल्ली पुलिस को राज्यकर्मी मान वरीयता देने से इंकार करने का आदेश रद्द -नजदीकी जिलों में तबादला स्थल पर ज्वाइन कराने का निर्देश

प्रयागराज, 29 मई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कर्मियों को राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र में कार्यरत होने के कारण केंद्रीय कर्मचारी मानते हुए राज्य की तबादला नीति के तहत प्रदेश में सरकारी कर्मचारी जीवन साथी का नजदीकी जिले मे तबादले को सही माना है। राज्य सरकार के दिल्ली पुलिस को राज्य कर्मी मान तबादले में वरीयता अंक न देने और तबादले स्थल पर ज्वाइन न कराने के आदेश को संविधान के विपरीत करार दिया है। कोर्ट ने एकलपीठ के याचिका खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया है।

साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर के आदेश को भी रद्द कर दिया है और आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस को केंद्रीय कर्मचारी माना जाय। कोर्ट ने अपीलार्थी को बुलंदशहर ज्वाइन कराने व सेवा लाभों सहित नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है और सरकार को छह हफ्ते में नया आदेश जारी करने को भी कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति पी के गिरी की खंडपीठ ने शारदा लोधी आदि की विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए दिया है। इस आदेश का लाभ सभी अपीलार्थियों को मिलेगा।

मालूम हो कि याची-अपीलार्थी का राज्य तबादला नीति के तहत मेरिट अंक के आधार पर अमेठी से बुलंदशहर तबादला किया गया। केंद्र सरकार के कर्मचारी को वरीयता का नियम है, जिसका अंक दिया जाता है। याची का पति दिल्ली पुलिस में है। बीएसए ने बुलंदशहर में ज्वाइन कराने से इंकार कर दिया था। कहा था कि केंद्रीय कर्मचारी को वरीयता का अंक मिलेगा। दिल्ली पुलिस राज्य कर्मचारी हैं। इसके खिलाफ याचिका एकलपीठ ने खारिज कर दी। जिसे अपील में चुनौती दी गई दी। कोर्ट ने बीएसए व एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार करते हुए अपील को तय करने का आदेश दिया। जिस पर अपीलों की सुनवाई की गई।

खंडपीठ ने साफ कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं। इसलिए उनके जीवन साथी को तबादले में केंद्रीय कर्मचारी का वरीयता अंक मिलेगा। कोर्ट ने कहा एकलपीठ ने अलग व्याख्या की जो संविधान का विरोधाभासी है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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