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दिल्ली के जेल महानिदेशक को वकीलों की कैदियों से मुलाकात के बारे में चार हफ्ते में फैसला करने का निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 04 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के जेल महानिदेशक को कैदियों से मुलाकात करने के लिए वकीलों की सुविधाओं में कमी पर प्रतिवेदन की तरह विचार करके चार हफ्ते में विचार करके फैसला करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने गौर किया कि दिल्ली सरकार इसमें कुछ भी फंड देने को तैयार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार की नीति साफ है कि वे कोई टैक्स नहीं लेते हैं, कोई टैक्स भी खर्च नहीं करते।

यह याचिका श्याम सुंदर अग्रवाल ने दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि जेलों के विचाराधीन कैदियों से मुलाकात करने वाले वकीलों के लिए बेहतर सुविधाएं दी जाएं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे कोई आरामदायक सुविधा नहीं मांग रहे हैं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मांग को जरूरी बताया लेकिन ये भी नोट किया कि सरकार के पास फंड नहीं है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने जेल का दौरा कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट को देखने के बाद दिल्ली सरकार इस बात पर राजी हुई थी कि जेलों में कैदियों की क्षमता 20 हजार तक की बढ़ाई जाए। बाद में उस पर कोई फैसला नहीं किया गया। फिलहाल जेलों में जो सुविधाएं हैं, वो सात से आठ हजार कैदियों के लिए पर्याप्त है।

याचिकाकर्ता ने तिहाड़ जेल का दौरा करने के बाद विभिन्न मसलों को उठाया था। याचिका में कहा गया था कि वकीलों को कैदियों के मिलने के लिए एक से दो घंटे तक इंतजार करना होता है भले ही मौसम कितना भी प्रतिकूल क्यों न हो। वकीलों के लिए बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होती हैं। यहां तक कि पीने का पानी, टॉयलेट इत्यादि की भी सुविधाएं नहीं हैं। कई एकड़ भूमि खाली होने के बावजूद वकीलों के लिए कोई पार्किंग की सुविधा भी नहीं है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले दिल्ली बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी प्रतिवेदन दिया था। याचिकाकर्ता ने 05 सितंबर को जेल महानिदेशक को भी प्रतिवेदन दिया था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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