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दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया- केंद्र से वन स्टॉप सेंटर के लिए आए फंड में से 87 फीसदी का इस्तेमाल नहीं किया

Delhi High Court File Photo

नई दिल्ली, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से वन स्टॉप सेंटर के लिए आए फंड में से 87 फीसदी का इस्तेमाल नहीं किया है। दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को ये सूचना दी। दिल्ली सरकार ने कहा कि वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारियों को पिछले सात से नौ महीने से सैलरी नहीं मिली है और वो वन स्टॉप सेंटर के सभी कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए कदम उठाएगी।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि वो हमेशा ये स्पष्ट करती रही है कि वन स्टॉप सेंटर के लिए जारी फंड से इसके कर्मचारियों को सैलरी दी जा सकती है। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को निर्देश दिया कि वो वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलने के लिए जिम्मेदार अफसरों की जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। हाईकोर्ट ने राजस्व विभाग को दो हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान राजस्व विभाग ने कहा कि विभाग की गलती की वजह से वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारियो को सैलरी नहीं मिल पाई है और वो इन कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए कदम उठाएगी। दरअसल एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन ने याचिका दायर कर दिल्ली में वन स्टॉप सेंटर की खराब हालत पर चिंता जताई थी। याचिका में कहा गया था कि वन स्टॉप सेंटर में आम तौर पर पुलिस सहायता के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं होता और दिल्ली पुलिस कोई सहयोग नहीं करती है।

दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 सितंबर तक दिल्ली के 11 वन स्टॉप सेंटर ने केवल 21 फीसदी फंड का ही इस्तेमाल किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रत्येक वन स्टॉप सेंटर के लिए 12.19 लाख रुपये का आवंटन किया गया है, जो कुल मिलाकर एक करोड़ 34 लाख होता है। फंड का इस्तेमाल सैलरी, दफ्तर का खर्चा और वाहनों के इस्तेमाल पर होता है। दफ्तर के खर्चे में रेप पीड़ितों को दी जानेवाली तुरंत सहायता भी शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी दिल्ली के कर्मचारियों को सितंबर, उत्तरी दिल्ली के कर्मचारियों को नवंबर और दक्षिणी दिल्ली के कर्मचारियों को अगस्त महीने की सैलरी नहीं मिली है।

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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