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रक्षामंत्री का युवाओं से आह्वान, कहा- देश में वह तकनीक विकसित करें, जिनका देश आयात करता है

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर में 65वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

-युद्ध की बदलती प्रकृति के मद्देनजर अत्याधुनिक तकनीकों के रक्षा अनुप्रयोग पर ध्यान देने की जरूरत

-देश का रक्षा निर्यात 2029-30 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद जताई

नई दिल्ली, 02 नवंबर (Udaipur Kiran) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए भारतीय युवाओं का आह्वान किया कि वे देश में वह उच्च तकनीक विकसित करें, जिनका देश आयात करता है। वह शनिवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर में 65वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।

रक्षा मंत्री ने आज हर क्षेत्र में हो रहे तेजी से बदलाव के पीछे ‘प्रौद्योगिकी’ को सबसे बड़ा कारक बताया, जिसमें देश वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में बढ़त स्थापित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी विशिष्ट तकनीक में महारत हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इसे आगे समझाते हुए उन्होंने बताया कि तकनीकी विकास के आधार पर देशों के तीन समूह हैं- पहला उन्नत तकनीक में शिखर पर है, दूसरे एक स्थिर स्थिति में पहुंच गए हैं और तीसरे तकनीकी टेक-ऑफ के चरण में हैं।

भारत को तीसरे समूह में रखते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्र आज तकनीकी प्रगति में शीर्ष स्थान की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी पर पकड़ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और युवाओं से अपनी क्षमता का एहसास करने और देश की प्रगति में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने आईआईटी कानपुर जैसे संस्थानों को अकादमिक इंजन करार दिया, जो वर्तमान प्रतिस्पर्धी माहौल में भारत को एक गतिशीलता प्रदान कर सकते हैं और इसे पहले सेट में स्थान दे सकते हैं।

जारी संघर्षों के बीच दुनिया भर में रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ड्रोन, लेजर युद्ध, साइबर युद्ध, सटीक निर्देशित मिसाइलों और हाइपरसोनिक मिसाइलों के उपयोग ने युद्ध को प्रौद्योगिकी उन्मुख बना दिया है। रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि हम अपनी वस्तुओं के लिए आवश्यक कुछ उच्च अंत प्रौद्योगिकियों को आयात करने के लिए मजबूर हैं। युद्ध की बदलती प्रकृति के मद्देनजर अत्याधुनिक तकनीकों के रक्षा अनुप्रयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

राजनाथ सिंह ने इस प्रयास में सरकार के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों सहित सभी हितधारकों को एक साथ लेने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि देश ने युवाओं के बल पर 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देखा है। हमें उस सपने को साकार करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगानी चाहिए। एक कहावत है, ‘यदि आप तेजी से जाना चाहते हैं, तो अकेले जाएं। अगर आप दूर तक जाना चाहते हैं तो साथ चलें। हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिलकर चलने की जरूरत है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) पहल के बारे में बात की, जो इनोवेटर्स और स्टार्ट-अप को 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए आईडीईएक्स (एडीआईटीआई) योजना के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास को शुरू किया गया था, जिसमें स्टार्ट-अप 25 करोड़ तक की अनुदान सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता हासिल करने के सरकार के प्रयासों के वांछित परिणाम मिल रहे हैं क्योंकि रक्षा निर्यात, जो दस साल पहले लगभग 600 करोड़ रुपये था, वित्तीय वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 21,000 करोड़ रुपये को पार कर गया। उन्होंने भरोसा जताया कि प्रगति जारी रहेगी और रक्षा निर्यात 2029-30 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

रक्षा मंत्री ने बताया कि प्रौद्योगिकी के निर्माण में तीन प्रमुख चरण शामिल हैं- विचार, अनुप्रयोग और उत्पादन। आईआईटी कानपुर जैसे संस्थान विचारों को इनक्यूबेट करने से लेकर उत्पादों के निर्माण तक एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने ऐसे उत्पाद और प्रौद्योगिकियां पेश करने के महत्व को रेखांकित किया, जो सशस्त्र बलों के विकसित हो जाने के बाद उनके लिए जरूरत बन जाती हैं।

समारोह के हिस्से के रूप में आईआईटी कानपुर ने रक्षा नवाचार पर एक विशेष कार्यक्रम की मेजबानी की, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है।

राजनाथ सिंह ने आईआईटी कानपुर में स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) द्वारा आयोजित एक रक्षा अनुसंधान, उत्पाद और इनक्यूबेशन शोकेस का दौरा किया, जिसमें 23 एसआईआईसी-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप से अग्रणी समाधानों पर प्रकाश डाला गया, जो स्वायत्त प्रणाली, एआई-संचालित निगरानी और अगली पीढ़ी के संचार उपकरणों जैसी रक्षा प्रौद्योगिकी में प्रगति पेश करते हैं। रक्षा मंत्री ने प्रदर्शनी स्टालों पर स्टार्ट-अप संस्थापकों और अनुसंधान टीमों के साथ बातचीत की और राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने में उनके योगदान की सराहना की।

साझेदारी को मजबूत करने के लिए कई समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसमें सैन्य रसद और रक्षा नवाचार में प्रगति के लिए बीईएमएल और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ आईआईटी कानपुर के सहयोग और इनक्यूबेशन प्रयासों को मजबूत करने के लिए कानपुर विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी शामिल है। डीडीआर एंड डी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने छह परिवर्तनकारी डीआरडीओ परियोजनाओं के लिए स्वीकृति पत्र प्रस्तुत किए, जबकि आईडीईएक्स-वित्त पोषित स्टार्ट-अप के लिए सिडबी के मैचिंग ऑफर ने आवश्यक धन सहायता को और बढ़ावा दिया।

इस कार्यक्रम में देश की नवीनतम रक्षा पहलों, जैसे कि आईडीईएक्स की डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज 12 और अदिति 2.0 चुनौतियों पर महत्वपूर्ण चर्चाएं शामिल थीं, जिन्होंने रक्षा नवाचार परिदृश्य में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की। राजनाथ सिंह के नेतृत्व में एक स्मारक वृक्षारोपण तकनीकी और रक्षा उन्नति और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता में आईआईटी कानपुर की स्थायी विरासत का प्रतीक है।

इस कार्यक्रम में सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, एसआईआईसी के प्रभारी प्रोफेसर दीपू फिलिप, संस्थान के छात्र और प्रतिष्ठित पूर्व छात्र शामिल हुए।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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