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हिमाचल में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढाने की तैयारी, कैबिनेट में होगा फैसला

फाइल फ़ोटो : हिमाचल सरकार

शिमला, 04 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राज्य में गहराते वित्तीय संकट से उबरने की कवायद में जुटी है। इसके लिए राज्य सरकार अब सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को मौजूदा 58 वर्ष से बढ़ाकर 59 वर्ष करने की तैयारी में है औऱ इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला कल सोमवार 5 मई को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। वित्त विभाग इस प्रस्ताव पर कैबिनेट में विस्तृत प्रस्तुति देगा।

दरअसल वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार से मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान में भारी कटौती के चलते राज्य सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है। पिछले वर्ष जहां यह अनुदान 6258 करोड़ रुपये था। वहीं इस वर्ष यह घटकर मात्र 3725 करोड़ रुपये रह गया है। ऐसे में सरकार सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर तत्काल वित्तीय बोझ को कम करना चाहती है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है तो सरकार को इस वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को एकमुश्त पेंशन भुगतान (कम्यूटेशन) से राहत मिल सकती है और लगभग 2000 से 3000 करोड़ रुपये की वित्तीय बचत हो सकती है।

इससे पहले कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2013 से 2015 के बीच भी कर्मचारियों को एक वर्ष अतिरिक्त सेवाकाल का विकल्प दिया गया था। उस समय भी प्रदेश को 13वें वित्तायोग के अंतिम वर्षों में गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था। अब जब 15वें वित्तायोग से मिलने वाली राशि में कटौती हो रही है और 16वें वित्तायोग की सिफारिशें 2026 से लागू होंगी तो सरकार को इस दो वर्षों के अंतराल में तात्कालिक समाधान की आवश्यकता महसूस हो रही है।

वित्त विभाग का मानना है कि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु एक वर्ष बढ़ाने से न केवल तत्कालिक वित्तीय राहत मिलेगी बल्कि सरकार को नई भर्तियों पर भी रोक लगाने का अवसर मिलेगा। इससे वेतन और भत्तों का भार भी घटेगा। ‘रिसोर्स मोबिलाइजेशन’ पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में बनी उप-समिति ने भी सरकार को यह सिफारिश दी है कि सेवानिवृत्ति आयु 59 वर्ष की जाए।

कैबिनेट की बैठक में दो अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी चर्चा संभव है। पहला प्रस्ताव कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली अग्रिम पेंशन यानी ‘कम्यूटेशन’ को बंद करने से जुड़ा है। वर्तमान में कर्मचारी अपनी पेंशन का एक हिस्सा एकमुश्त राशि के रूप में ले सकते हैं। इससे सरकार पर भारी वित्तीय दबाव पड़ता है। सरकार इस सुविधा को सीमित करने या आंशिक रूप से रोकने पर विचार कर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह संकेत दिया है कि जो कर्मचारी शीघ्र सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनके लिए कम्यूटेशन की सुविधा बरकरार रखी जा सकती है।

दूसरा बड़ा प्रस्ताव पूरी पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा अवधि को 20 वर्ष से बढ़ाकर 25 वर्ष करने का है। फिलहाल प्रदेश में 20 वर्ष की सेवा के बाद पूरी पेंशन मिलती है। लेकिन अब इसे पंजाब मॉडल के आधार पर संशोधित करने का प्रस्ताव है। इससे सरकार को दीर्घकालिक रूप से पेंशन व्यय नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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