
जयपुर, 9 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत दिए जाने वाले भरण पोषण के आदेश की प्रकृति को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सीजे एमएम श्रीवास्तव, जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस सुदेश बंसल की वृहद पीठ ने यह आदेश इस संबंध में उठाए गए विधिक बिंदु पर सुनवाई करते हुए दिए।
वृहद पीठ के समक्ष यह विधिक बिंदु रेफर किया गया था कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत दिए जाने वाले भरण पोषण के आदेश की प्रकृति अंतरिम आदेश की होती है या अंतिम आदेश की। यदि इसे अंतरिम आदेश माना जाता है तो इस आदेश के खिलाफ रिवीजन दायर होती है। वहीं यदि इसे अंतिम आदेश माना जाता है तो इस आदेश को अपील के जरिए चुनौती दी जाती है। सुनवाई के दौरान बार की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि हाईकोर्ट की वृहद पीठ पूर्व में ही धारा 24 के तहत दिए जाने वाले आदेश को अंतिम बता चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी इस विषय में अपना फैसला नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पहले इस बिंदु पर अपने विचार प्रकट किए थे, लेकिन वह फैसले के रूप में नहीं था। वहीं पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अभिनव शर्मा ने कहा कि पूर्व में तीन जजों की वृहद पीठ ने आदेश दिया था। ऐसे में अब इस मामले को पांच जजों की वृहद पीठ गठित होनी चाहिए। सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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(Udaipur Kiran)
