
जौनपुर, 11 मई (Udaipur Kiran) । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विधि विभाग में डीन जिले की विधिक, साहित्यिक व सामाजिक दुनिया में गहरी छाप छोड़ने वाले डॉ. पी.सी. विश्वकर्मा का रविवार सुबह निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे और कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका निधन उनके आवास, परमानतपुर में हुआ। उनके निधन की खबर से शिक्षा, न्याय और साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई।डॉ. विश्वकर्मा का जीवन बहुआयामी उपलब्धियों से भरा रहा। वे वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विधि विभाग में डीन पद पर कार्यरत रह चुके थे। इसके अलावा तिलकधारी महाविद्यालय में विधि विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक के रूप में उन्होंने छात्र-छात्राओं को वर्षों तक शिक्षा दी और उन्हें न्याय की राह पर चलने की प्रेरणा दी।
वे केवल शिक्षाविद ही नहीं, अपितु एक कुशल विधिवेत्ता के रूप में भी पहचाने जाते थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने जिले के उपभोक्ता फोरम के सदस्य के रूप में भी सक्रिय भूमिका निभाई, जहां उन्होंने आम जनमानस के अधिकारों की रक्षा के लिए सदैव तत्परता दिखाई। साहित्य में उनकी विशेष रुचि रही। वे एक प्रख्यात शायर के रूप में भी लोकप्रिय थे। उनके काव्य और शायरी में समाज की गहराइयों को छूने की अद्भुत क्षमता थी। वे एक संवेदनशील समाजसेवी के रूप में भी हमेशा जरूरतमंदों के साथ खड़े रहे।
डॉ. पी.सी. विश्वकर्मा के निधन से जिले ने एक बहुआयामी व्यक्तित्व को खो दिया है। उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर सुबह से ही शुभचिंतकों, विद्यार्थियों, सहकर्मियों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों का तांता लगा रहा।उनके निधन की जानकारी मिलते ही राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष मनोरमा मौर्य,पूर्व अध्यक्ष दिनेश टंडन वरिष्ठ पत्रकारों ने उनके आवास पर पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
