जयपुर, 8 जनवरी (Udaipur Kiran) । पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर प्रथम ने स्कूली छात्राओं के एआई तकनीक से न्यूड फोटो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने से जुडे मामले में चार किशोर आरोपिताें को सशर्त जमानत पर रिहा करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में संदेहपूर्ण अनुसंधान करने पर मानसरोवर थाने के थानाधिकारी व प्रकरण में अब तक रहे अनुसंधान अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए डीसीपी दक्षिण को आदेश की कॉपी भेजी है।
पीठासीन अधिकारी तिरुपति कुमार गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि अनुसंधान अधिकारी ने दो अन्य आरोपिताें के लिए अज्ञात कारणों से अलग पैमाना अपनाया है, जबकि चैट में इन दोनों ने भी अत्यंत भद्दी भाषा में न्यूड फोटोग्राफ की मांग की है और ग्रुप की गतिविधियों में सक्रिय सहयोग किया है। अदालत ने कहा कि 3 फरवरी, 2024 को एफआईआर दर्ज होने के करीब आठ माह बाद पीडिता के धारा 161 के बयान और करीब दस माह बाद धारा 164 के बयान कराए, जबकि कानूनी प्रावधान है कि घटना के तुरंत बाद ही बयान दर्ज हो जाने चाहिए थे। ऐसा नहीं करना भी आईपीसी की धारा 166ए के तहत दंडनीय है। इसके अलावा एफआईआर के दिन पीडिता की उम्र की जानकारी मिलने के बाद भी दस माह तक पॉक्सो की धाराए नहीं लगाई। ऐसा करना भी पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध है।
अपील में अधिवक्ता प्रियंका पारीक ने अदालत को बताया की अपीलार्थी किशोर 14 दिसंबर, 2024 से अभिरक्षा में है। उन्हें अपने किए पर पश्चाताप भी है। उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। इसके अलावा आईओ ने दो अन्य किशोरों को मामले में गवाह बना दिया, जबकि पीडित पक्ष ने उनका भी मामले में अलग-अलग रोल बता दिया गया था। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपिताें ने इंस्टाग्राम पर ग्रुप बनाया और एआई तकनीक से दो छात्राओं के न्यूड फोटो अपलोड किया। वहीं आरोपिताें ने उस पर भद्दे कमेंट भी किए। इन्हें जमानत पर छोडा तो ये स्कूल का माहौल खराब करेंगे।
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(Udaipur Kiran)