ऊना, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने जिला स्तरीय दिव्यांग समिति की बैठक में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत जिले में दिव्यांगजनों की शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक समावेशिता के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित बनाने को कहा कि जिले का कोई भी दिव्यांगजन विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी) से वंचित न रहे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से व्यापक सर्वेक्षण करने और इसका डेटा सामाजिक कल्याण विभाग के साथ साझा करने के निर्देश दिए ताकि किसी भी छूटे हुए लाभार्थी को यूडीआईडी का लाभ दिया जा सके।
उपायुक्त ने जानकारी दी कि जिले में कुल 5961 दिव्यांगजनों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतर्गत अब तक 5.31 करोड़ रुपये से अधिक की राशि व्यय की गई है। दिव्यांग छात्रवृत्ति योजना के तहत 2023-24 में 52 लाभार्थियों को 5.60 लाख रुपये वितरित किए गए हैं। दिव्यांग विवाह पुरस्कार योजना में 40 से 74 प्रतिशत दिव्यांगता के मामलों में 25,000 रुपये और 75 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता पर 50,000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत 217 लोगों को लाभ दिया गया है।
उपायुक्त ने अल्पसंख्यक वर्ग के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री 15-सूत्रीय कार्यक्रम को और प्रभावी तरीके से लागू करने पर जोर दिया। कार्यक्रम का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार में समान अवसर प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से अल्पसंख्यक वर्ग के 6 महीने से 6 साल तक के 833 बच्चों और 191 माताओं को विशेष पोषण कार्यक्रम का लाभ दिया जा रहा है।
उपायुक्त ने जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की बैठक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अनुसूचित जाति और जनजातियों के अधिकारों की रक्षा के लिए किए जा रहे उपायों की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिनियम के तहत लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाने को कहा। बैठक में पीड़ितों को राहत राशि और कानूनी संरक्षण प्रदान करने पर भी चर्चा हुई।
दिव्यांगजनों के कानूनी संरक्षण पर चर्चा
उपायुक्त ने राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के अंतर्गत जिला स्तरीय स्थानीय समिति की बैठक में मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों, जैसे स्वपरायणता (ऑटिज्म), प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता, और बहु-दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्तियों के कानूनी संरक्षण पर चर्चा की। जिले में अब तक 108 स्थायी कानूनी संरक्षक नियुक्त किए गए हैं।
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(Udaipur Kiran) / विकास कौंडल