HEADLINES

ससुर के हत्या की दोषी बहु सुखवंती को उम्रकैद की सजा

फोटो

सोनभद्र, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । करीब तीन वर्ष पूर्व भूत प्रेत के शक में हुए हरी प्रसाद हत्याकांड के मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषी बहु सुखवंती को उम्रकैद व 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक राम हुलास पुत्र स्वर्गीय हरी प्रसाद निवासी साओडीह, हथवानी, थाना हाथीनाला, जिला सोनभद्र ने 28 अगस्त 2021 को थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसके छोटे भाई देवलाल की पत्नी सुखवंती ने 27/28 अगस्त 2021 को रात्रि 3 बजे भोर में भूत प्रेत के शक में उसके पिता हरी प्रसाद के ऊपर कुल्हाड़ी से प्रहार कर सर और चेहरे पर गंभीर चोटें पहुंचाई। पिता को दवा इलाज के लिए सरकारी अस्पताल दुद्धी ले जाकर भर्ती कराया गया। जहां से प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने जिला अस्पताल लोढ़ी के लिए रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान सिर और चेहरे पर गंभीर चोट लगने की वजह से मौत हो गई। शव मर्चरी में रखा हुआ है। आवश्यक कार्रवाई की जाए। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। मामले की विवेचना करते हुए विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर उच्चतम न्यायालय की विधि व्यवस्था जिसमें कहा गया है कि दंडादेश कठोर होना चाहिए। दंडादेश में अनावश्यक उदारता का समावेश नहीं होना चाहिए। अनुचित एवं असम्यक उदारता एवं सहानुभूति न्याय को अपेछाकृत अधिक क्षति पहुंचाते हैं। दोषसिद्ध हो जाने के बाद अभियुक्त के ऊपर किसी प्रकार का निरापद उदारता व सहानुभूति प्रकट करके उसे पर्याप्त दंड से दंडित न करने से न्याय की घोर क्षति होती है। असम्यक उदारता एवं सहानुभूति प्रकट करके यदि अभियुक्त को विधि द्वारा प्रावधानित सम्यक दंड से पर्याप्त रूप से दंडित न किया जाए तो इससे सामान्य जन का विश्वास भी प्रभावित होता है। इसका अनुपालन करते हुए कोर्ट ने दोषसिद्ध पाकर दोषी बहु सुखवंती को उम्रकैद व 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विनोद कुमार पाठक ने बहस की।

(Udaipur Kiran) / पीयूष त्रिपाठी / राजेश

Most Popular

To Top