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ऊना, 13 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । शिक्षा और समाज सेवा में अतुलनीय योगदान देने वाली स्वर्गीय प्रो. (डॉ.) सिम्मी अग्निहोत्री की पुण्य स्मृति में बुधवार रात हरोली के बाथू स्थित राजीव गांधी सुविधा केंद्र में माता रानी के जागरण का आयोजन किया गया। इस भावपूर्ण आयोजन में प्रसिद्ध गायक रोशन प्रिंस और अनंतपाल बिल्ला ने अपने भजन-कीर्तन से श्रद्धालुओं को भक्तिरस में सराबोर कर दिया।
गौरतलब है कि बीते वर्ष 12 फरवरी को प्रो. (डॉ.) सिम्मी अग्निहोत्री ने माता रानी का जागरण करवाने का संकल्प लिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश जागरण से तीन दिन पूर्व उनका आकस्मिक निधन हो गया, जिससे यह संकल्प अधूरा रह गया था। उनकी स्मृति और अधूरे संकल्प को पूरा करने के लिए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी आस्था अग्निहोत्री ने इस वर्ष उसी दिन, समय और स्थान पर जागरण का आयोजन किया। माता श्री ज्वाला जी मंदिर से पवित्र ज्योति लाकर विधिवत पूजा-अर्चना के साथ स्थापित की गई।
इस आयोजन में समाज जीवन के हर क्षेत्र की विशिष्ट और श्रेष्ठ विभूतियों सहित आमजन भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस दौरान अनेक गणमान्य व्यक्तियों, प्रशासनिक अधिकारियों, परिवारजनों और श्रद्धालुओं ने माता के जागरण में भाग लिया। उन्होंने प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके योगदान को नमन किया।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की धार्मिक निष्ठा और उनकी अधूरी इच्छा को पूर्ण करने के लिए किया गया। प्रो. सिम्मी माता रानी की अनन्य भक्त थीं। लगातार पांच बार विधायक के रूप में रिकॉर्ड मतों से विजयी रहे श्री अग्निहोत्री की सफलता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। हर चुनावी विजय के उपरांत प्रो. सिम्मी नंगे पांव माता चिंतपूर्णी, माता ज्वालामुखी और माता बगलामुखी के दर्शन के लिए घर से पैदल निकलती थीं। उनकी इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनकी बेटी डॉ. आस्था अग्निहोत्री ने मां के निधन के उपरांत पिछले मार्च में उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप अपने निवास गोंदपुर जयचंद से माता चिंतपूर्णी के दरबार तक नंगे पांव पैदल यात्रा की थी।
29 सितंबर 1968 को मंडी में जन्मीं प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री का नाम शिक्षा के आकाश में एक नक्षत्र की तरह चमकता रहेगा। वे 9 फरवरी 2024 को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके माता रानी की दिव्य ज्योति में विलीन हो गईं। अपने छोटे से जीवन काल में उन्होंने अनेक अकादमिक उपलब्धियां अर्जित कीं, जो अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मंचों पर भारतीय शिक्षा का प्रतिनिधित्व करती हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्याल; में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफेसर के रूप में अपने ज्ञान और अनुभव से उन्होंने अनगिनत जीवनों को रोशन किया। साथ ही वे समाज सेवा के क्षेत्र में जीवन पर्यन्त तत्परता से जुटी रहीं। नशे के खिलाफ आंदोलन, सड़क सुरक्षा अभियान, सामाजिक कार्य में सहभागिता तथा हर क्षेत्र में उनकी सहभागिता समाज सेवा के कार्य में उनकी लगातार सक्रियता की बानगी रहे।
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(Udaipur Kiran) / विकास कौंडल
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