Haryana

हिसार : झलकारी बाई के बलिदान पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत

झलकारी बाई के बलिदान पर एक नृत्य नाटिका का एक दृश्य।

हिसार, 5 मई (Udaipur Kiran) । कलंधिका नृत्य नाट्य संस्था समिति की ओर से साेमवार काे रियाज़ स्टूडियो में वीरांगना झलकारी बाई के बलिदान पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। इसका निर्देशन डॉ. राखी जोशी और राम नारायण ने किया। प्रदर्शित नाटिका में दिखाया गया कि झलकारीबाई का जन्म 22 नवंबर 1830 को झांसी के पास भोजला गांव में किसान सदोवा सिंह और जमुनादेवी के घर हुआ था। युवावस्था में, जब एक बाघ ने उन पर हमला किया तो उन्होंने डटकर उसका सामना किया और कुल्हाड़ी से उसे मार डाला। एक बार उन्होंने जंगल में एक तेंदुए को उस छड़ी से मार डाला था जिसका इस्तेमाल वे मवेशियों को चराने के लिए करती थीं। झलकारी बाई की शक्ल लक्ष्मीबाई से बहुत मिलती जुलती थी और इस वजह से उन्हें सेना की महिला शाखा में शामिल किया गया। रानी की सेना में वह जल्दी से रैंक में बढ़ी और अपनी सेना की कमान संभाली। 1857 के विद्रोह के दौरान जनरल ह्यूग रोज़ ने एक बड़ी सेना के साथ झांसी पर हमला किया। रानी ने अपने 14 हजार सैनिकों के साथ सेना का सामना किया। वह कालपी में डेरा डाले हुए पेशवा नाना साहिब की सेना से राहत की प्रतीक्षा कर रही थी जो नहीं आई क्योंकि तांत्या टोपे पहले ही जनरल रोज़ से हार चुके थे। इस बीच, किले के एक द्वार के प्रभारी, ठाकुर समुदाय के दूल्हाजी ने हमलावरों के साथ एक समझौता किया और झांसी के दरवाजे ब्रिटिश सेना के लिए खोल दिए। झांसी की रानी को वहां से किस तरह निकाला गया और इसके बाद झलकारी बाई ने भी अंग्रेज़ों को लोहे के चने चबा दिए। जब रोज़ को पता लगा की ये झांसी की रानी नहीं है बल्कि झलकारी है तो रोज़ ने उन्हें सेना सहित सैलूट किया। इसके अलावा, वह रानी की करीबी विश्वासपात्र और सलाहकार थीं और लक्ष्मीबाई के साथ युद्ध के विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं।नाटिका का संगीत सुशांत ज़ेहन और हीना ज़ोहरा ने किया। नाटिका में रानी-ख़ुशी दहिया छोटी और बड़ी झलकारी बाई-नंदिता/माही/युक्ति, नट एवं नटी-कविका एवं साहिबा, पूरण-विश्वराज जोशी, अंग्रेज-वाणी अरोड़ा, ओजस्वी स्वामी, पीरअली-वाणी अरोड़ा, जूही-माही, नृतक के रूप में मन्नत, गरिमा, श्रेय, देविशा, हर्निश, हरजोत, बानी व लक्षिता ने भाग लिया।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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