-महर्षि दधीचि की जयंती पर राजकीय अवकाश और सूखा दिवस घोषित करने की मांग
जोधपुर, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । दाधीच समाज सेवा समिति जोधपुर संभाग की ओर से महर्षि दधीचि की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने और मांस व शराब बिक्री पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाधीच व सर्व ब्राह्मण समाज द्वारा रैली निकाली गई। साथ ही कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन कर प्रशासन को अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा गया।
समिति अध्यक्ष पवन आसोपा ने बताया कि रैली सुबह पावटा स्थिति महर्षि दधीचि उद्यान से जिला कलक्ट्रेट तक निकाली गई। रैली का मुख्य उद्देश्य महर्षि दधीचि के जन्मोत्सव पर राजकीय अवकाश व उस दिन सूखा दिवस घोषित करवाना था। प्रवक्ता प्रेमशंकर आचार्य ने बताया कि रैली के बाद समाजबंधुओं ने 11 सितबर को महर्षि दधीचि जयंती के अवसर पर बूचडख़ाने, मांस व शराब की दुकानें बंद कराए जाने व उस दिन राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग को लेकर प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
दाधीच समाज सेवा समिति के उपाध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने बताया कि रैली में परशुराम सेवा दल के अध्यक्ष विकास शर्मा, ब्राह्मण समाज हरिद्वार भवन के ट्रस्टी व कांग्रेस के दक्षिण जिलाध्यक्ष नरेश जोशी, पारीक समाज के पदाधिकारी नरेश पारीक सहित ब्राह्मण समाज के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे। इसके अलावा दाधीच समाज सेवा समिति के कोषाध्यक्ष धीरेंद्र दाधीच, भरत बावरला, महिला संगठन की अध्यक्ष सरिता दाधीच, सत्यनारायण रिणवा, मिश्रीलाल दाधीच, विजयराज दाधीच, हस्तीमल दाधीच, नेतराम दाधीच, कमल गगराणीया, हेमंत जोशी, सुरेंद्र रतावा, कैलाश पाटोदिया, सोनराज, बुद्धिप्रकाश, अक्षय, पार्षद मुकेश करेसिया सहित दाधीच समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।
धर्म की रक्षार्थ किया था हड्डियों का दान
आसोपा ने बताया कि सनातन धर्म में एक से बढक़र एक ऋषि, मुनि, तपस्वी, त्यागी व दानी हुए है। जब भी त्याग और दान की बात की जाती है तो महर्षि दधीचि का नाम सर्वोच्च शिखर पर आता है। आसुरी शक्तियों को परास्त करने के लिए जब देवताओं को अस्त्र-शस्त्र निर्माण के लिए महर्षि दधीचि की हड्डियों की आवश्यकता पड़ी तो महर्षि ने बिना संकोच जीवित अवस्था में अपनी हड्डियों व देह का दान देवताओं को कर दिया। उन्होंने कहा कि शराब व मांस के सेवन से आसुरी शक्तियों को बल मिलता है ऐसे में महर्षि दधीचि की जयंती के मौके पर शराब व मांस की बिक्री पर रोक लगाकर महर्षि के त्याग को सम्मान देना मानव मात्र का दायित्व है।
(Udaipur Kiran) / सतीश / संदीप