नई दिल्ली, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । पांचवा ‘नदी उत्सव’ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (एनएमसीएम) और जनपद सम्पदा प्रभाग की ओर से 19 सितंबर से 21 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है। इस उत्सव में विभिन्न विषयों पर पर्यावरणविदों और विद्वानों के साथ विद्वत चर्चा, नदियों की कहानी पर फिल्म स्क्रीनिंग, बच्चों के लिए कार्यशालाएं, पुस्तक मेला, प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुतियां और नाव के निर्माण को लेकर एक अनूठी चित्र प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इस उत्सव का उद्घाटन केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत करेंगे।
बुधवार को प्रेसवार्ता में आईजीएनसीए के जनपद संपदा डिवीजन के प्रमुख प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि भारतीय संस्कृति में नदियों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में नदियां न केवल पवित्र और पूज्य मानी जाती हैं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन का आधार भी हैं। सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। कई नदियां अब लुप्त होने के कगार पर हैं, ऐसे में लोगों में इसके संरक्षण के लिए जागरुकता लाना बेहद जरूरी है। नदी उत्सव लोगों में इसी जिज्ञासा को उत्पन्न करेगा।
इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में उत्तराखंड के हर्सिल की पूर्व सरपंच बसंत नेगी, परमार्थ निकेतन के प्रमुख एवं आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानन्द सरस्वती उपस्थित रहेंगे।
‘नदी उत्सव’ में तीन तरह की प्रदर्शनियां होंगी। कंगसाबती नदी और उसकी संस्कृति पर चित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी । इसके अलावा नाव के निर्माण से जुड़ी सभी पहलुओं को दर्शाती एक फोटो प्रदर्शनी और दिल्ली के स्कूल के बच्चों द्वारा नदियों पर बनायी गयी पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी। इसके अलावा रोजाना उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। हिमाचली लोक गीतों की खास प्रस्तुति कलाकार विक्रम भंद्रल देंगे। इसके अलावा गुरु कस्तुरी पटनायक और उनकी टीम ओडीसी की प्रस्तुति देंगे।
उल्लेखनीय है कि इस उत्कृष्ट पहल की कल्पना डॉ सच्चिदानंद जोशी ने लोगों के बीच उनकी पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बारे में जागरूकता पैदा करने और संवेदनशील बनाने के लिए की थी। ‘नदी उत्सव’ 2018 में शुरू हुआ था , जिसका उद्घाटन कार्यक्रम गोदावरी नदी के तट पर स्थित महाराष्ट्र के नासिक शहर में किया गया था। दूसरा ‘नदी उत्सव’ कृष्णा नदी के तट पर स्थित आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में और तीसरा ‘नदी उत्सव ’ गंगा नदी के तट पर स्थित बिहार के मुंगेर शहर में आयोजित किया गया था। चौथा ‘नदी उत्सव’ दिल्ली में आयोजित किया गया था।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी