

भोपाल, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । संस्कृति बचाओ मंच ने अमरनाथ यात्रा के बहिष्कार की अपील की है, जिससे सनातन धर्मियों से अगले तीन वर्षों तक इस यात्रा से दूर रहने की अपील की जा रही है। मंच का तर्क है कि कुछ कश्मीरी लोग जो यात्रा के दौरान रोजगार पाते हैं, वे आतंकवाद में शामिल हैं और सनातन धर्मियों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। इसलिए यात्रा बंद कर देनी चाहिए। एक तरफ वे यात्रा बंद करने की बात कह रहे हैं, तो दूसरी ओर उनकी इस बात का विरोध संत समाज एवं हिन्दू विद्वानों किया है। उनका कहना है कि सदियों से अपने आराध्य भगवान महादेव के हिमशिव लिंग के दर्शन के लिए हमारे पूर्वजों ने अनेकों कष्ट सहे, पर यात्रा सदैव होती रही है, ऐसे में आतंकवाद से डर कर यह यात्रा बंद नहीं होनी चाहिए, बल्कि पहले से अधिक यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाए जाना चाहिए।
दरअसल, मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने रविवार काे एक बयान जारी कर कहा कि सनातन धर्मियों को अगले तीन वर्षों तक अमरनाथ यात्रा से दूरी बनानी चाहिए, ताकि उन कश्मीरी लोगों का रोजगार छीना जा सके, जो हमारी आस्था के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। जिन कश्मीरियों को श्रद्धालुओं की सेवा से रोजगार मिलता है, वही कुछ लोग आतंकवादियों का सहयोग कर रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि अमरनाथ यात्रा के दौरान जिन लोगों को घोड़े, पिट्ठू और सेवा प्रदाता जैसे रोजगार मिलते हैं, उनमें से कुछ ने आपात स्थिति में सनातन धर्मियों की मदद करने के बजाय आतंकवादियों का समर्थन किया है।
मंच का मानना है कि यात्रा का बहिष्कार करके, वे इन लोगों को उनके कार्यों का एहसास करा सकते हैं और आतंकवाद को समर्थन देने वालों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। चंद्रशेखर तिवारी ने तीखे शब्दों में कहा कि हमारे धर्म में हर कण में भगवान का वास है। अमरनाथ यात्रा के नाम पर उन लोगों को रोजी-रोटी देना, जो आतंकियों के साथ मिलकर हिंदुओं की हत्या में मदद कर रहे हैं, यह अक्षम्य है। अब समय आ गया है कि हम उनका रोजगार छीनकर उन्हें उनकी करतूतों का अहसास कराएं। वहीं, पंडित शिवराज शास्त्री ने भी मंच का समर्थन करते हुए कहा, वहां का पूरा अर्थतंत्र अमरनाथ यात्रा और वैष्णो देवी यात्रा पर निर्भर है। अगर हम यात्रा रोक देंगे, तो आतंकवाद को छिपकर समर्थन देने वालों को सबसे बड़ा झटका लगेगा। हमने अपनी तरफ से 15 यात्रियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है और अन्य सनातनियों से भी ऐसा करने की अपील करते हैं।
इसके बाद जब संतों एवं अन्य हिन्दू समाज संगठन से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि यात्रा हमारे ऋषियों ने कभी बंद नहीं की तो हम यह कैसे करने के बारे में सोच सकते हैं? रामानंदी संप्रदाय के संत एवं प्राचीन हनुमान मंदिर छोटा तालाब के महंत श्रीरामदास त्यागी एवं प्रदेश अध्यक्ष हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रदेश अध्यक्ष एवं धारा भोजशाला के मुख्यवादी आशीष जनक ने कहा कि ये बेकार की बातें करनेवालों को चुप करा देना चाहिए। बाबा अमरनाथ हमारी आस्था हैंं, उस आस्था के मुख्य केंद्र हैं। विधर्मी इस्लामिक जिहादी तो चाहते ही यही हैं, तो क्या हमें उनकी मंशा पूरी करनी चाहिए?
उन्होंने कहा, जिस प्रकार धर्म पूछकर गोली मारी गई, वैसे ही सरकार को चाहिए कि अमरनाथ यात्रा में या फिर वैष्णोदेवी यात्रा में सिर्फ उन्हीं लोगों को प्रदेश दिया जाए जो हिन्दू सनातनी हैं। इसके अलावा अन्य विधर्मियों को उससे दूर रखा जाए, आशीष जनक का तर्क है कि जब उनकी आस्था ही भगवान पर, हमारे देवताओं पर नहीं है, तब फिर उनका हमारी धार्मिक यात्राओं में क्या काम ? व्यापार के नाम पर जो इन्हें प्रवेश दे दिया जाता है अब समय आ गया है उससे इन्हें दूर किया जाए। उनका कहना है कि अभी जितने रजिस्ट्रेशन बाबा अमरनाथ गुुुफा के लिए हुए हैं, आतंकी घटना होने के बाद उस रजिस्ट्रेशन में अब कई गुना वृद्धि हो जानी चाहिए, आतंकवादियों को यह संदेश जाना चाहिए कि हिन्दू सनातन समाज इस्लामिक आतंकियों से डरता नहीं है।
आचार्य भरत दुबे, पं. राकेश शास्त्री, भागवत एवं ज्योतिषाचार्य पं. ब्रजेश दुबे से जब इस संबंध में जानना चाहा तो उनका कहना भी यही था कि अधिक से अधिक हिन्दू श्रद्धालुओं को बाबा अमरनाथ के दर्शन करने जाना चाहिए, इनका कहना यह भी था कि जब आत्मा अजर-अमर अविनाशी है, फिर हिन्दू धर्म में पैदा होने से मरने से क्या डरना। मृत्यु तो किसी भी रूप में कभी भी आ सकती है। इसलिए हिन्दू समाज को बड़ी संख्या में अमरनाथ यात्रा में पहुंचकर आतंंकवादियों को यह कड़ा संदेश देना चाहिए कि वह अपने मंसूबो में कभी सफल नहीं होनेवाले हैं।
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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे
