
धर्मशाला, 29 मई (Udaipur Kiran) ।
शिक्षा के क्षेत्र में अपने अप्रतिम योगदान और पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सर्वप्रथम लागू करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति, प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल को ईटानगर विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिष्ठित ‘डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’ (डी. लिट) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान प्रोफेसर बंसल के अकादमिक समर्पण और शिक्षा के प्रति उनके बेहतर योगदान का प्रतीक है।
यह सम्मान मिलने पर वीरवार को प्रोफेसर बंसल ने धर्मशाला में एक प्रेस वार्ता में इस सम्मान पर अपनी विनम्र प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, यह मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि अकादमिक क्षेत्र में काम करने के प्रति मेरे प्यार का प्रतिफल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए दिया गया है।
शिक्षा के विस्तार और नवाचार पर जोर
प्रोफेसर बंसल ने आगामी योजनाओं और केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अगले तीन महीनों में विश्वविद्यालय से संबंधित 16 नई किताबें प्रकाशित होने वाली हैं। विश्वविद्यालय 22 भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें विशेष रूप से डोगरी भाषा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसके तहत 40 किताबें प्रकाशित हो रही हैं। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय ने अब तक 40 पेटेंट हासिल कर लिए हैं, जो नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अंतरिक्ष अनुसंधान में नया मील का पत्थर
कुलपति ने बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक केंद्र बनने जा रहा है। इसके लिए दो एकड़ भूमि देखी गई है और यह एक ‘यूनिक प्रोजेक्ट’ होगा, जिस पर 35 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यह परियोजना विश्वविद्यालय को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगी।
सामुदायिक जुड़ाव और वैश्विक सहयोग
प्रोफेसर बंसल ने बताया कि विश्वविद्यालय ‘थ्री टियर सिस्टम’ के तहत काम कर रहा है और समुदाय से जुड़कर भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। उन्होंने विदेशों के कई विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय आयामों का विस्तार हुआ है। इसके साथ ही, पूर्वोत्तर के विश्वविद्यालयों के साथ भी समझौता वार्ता चल रही है।
कुलपति ने भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दोहराया और बताया कि इस संबंध में एक बड़ा समागम होने वाला है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि विश्वविद्यालय जल्द ही पांच विषयों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने जा रहा है, जिससे शिक्षा की पहुंच और भी व्यापक होगी।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
