कानपुर, 01 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आने वाले समय में रिमोट सेंसिंग तकनीकी का बहुत ही ज्यादा उपयोग विभिन्न विषयों में होगा, जिसकी वजह से सभी छात्र-छात्राओं को इसमें निपुणता प्राप्त करनी चाहिए। इसके लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए कानपुर आईआईटी भी भेजा जाएगा और शिक्षकों एवं छात्रों के लिए विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जाएंगे। इस प्रकार हमारा प्रयास है कि रिमोट सेंसिंग तकनीक में सीएसजेएमयू के छात्र निपुण रहें। यह बातें मंगलवार को सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने कही।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में स्कूल बेसिक साइंसेज के अंतर्गत संचालित भूगोल विभाग के द्वारा पांच दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला ‘रिमोट सेंसिंग और जीआईएस पर व्यावहारिक सत्रों के साथ 1 से 5 अक्टूबर के मध्य आयोजित किया जा रहा है। मंगलवार को कुलपति और मुख्य अतिथि आईआईटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के ओंकार दीक्षित ने कार्यशाला का उद्घाटन किया।
कुलपति ने कहा कि रिमोट सेंसिंग तकनीक का आने वाले दिनों में बहुत उपयोग होगा। इसको देखते हुए कानपुर आईआईटी के साथ एमओयू किया जाएगा। शिक्षकों एवं छात्रों के लिए विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाएंगे और आईआईटी कानपुर में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए भी भेजा जाएगा जिससे कि भविष्य में इस तकनीकी का प्रयोग करने में छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से विषय में पारंगत बनाया जा सके। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी मुहैया कराए जा सके। विश्वविद्यालय का यह अद्भुत प्रयास है कि छात्रों को आज के प्रति स्पर्धात्मक युग में किसी भी तकनीक से अछूता न रखा जाए।
प्रति कुलपति सुधीर अवस्थी ने बताया कि सुदूर संवेदन तकनीकी का प्रयोग बहुत वर्षों से पर्यावरण विज्ञान जैव विज्ञान भू विज्ञान विज्ञान के विभिन्न विषयों में किया जाता रहा है। आज इसको वैश्विक पटल पर बदलते क्लाइमेट चेंज को पर्यावरण परिवर्तन जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के रुप में भी बहुत प्रयोग किया जाता है जिससे कि आने वाले समय में हम पर्यावरण से होने वाले विभिन्न प्रभावों का अध्ययन सफलतापूर्वक कर सके। प्रो. आरके द्विवेदी ने रडार एवं सोनार का उदाहरण देते हुए बताया कि यह तकनीकी भौतिक विज्ञान में बहुत पहले से ही प्रयोग में लाई जा रही है। अब इसका व्यापक प्रयोग होना अति आवश्यक हो गया है। इस बदलते परिवेश में लोकेशन बेस्ड स्टडीज के लिए इस तकनीकी का प्रयोग हमारे जीवन का एक मुख्य हिस्सा बन गया है।
मुख्य अतिथि प्रो. ओमकार दीक्षित ने सुदूर संवेदन तकनीकी विषय पर गहन प्रकाश डाला और छात्रों को बताया कि आईआईटी कानपुर किस तरह समाज के लिए कार्य कर रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग एवं डाटा साइंस इत्यादि के समय में केवल तकनीक के उपभोक्ता ही नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर क्रिएटर बनना चाहिए। उन्होंने बताया कि किस तरीके से ग्राउंड, एरियल और सैटेलाइट बेस्ड प्लेटफॉर्म एवं सेंसर की सहायता से हम चेंज डिटेक्शन तकनीकी का प्रयोग करके प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग कर सकते हैं।
(Udaipur Kiran) / अजय सिंह