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एसीबी केस में पूर्व आईएएस पहाडिया के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द

कोर्ट

जयपुर, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने सडक़ निर्माण कंपनी से मासिक बंधी मांगने से जुड़े एसीबी केस में अलवर कलेक्टर रहे पूर्व आईएएस नन्नूमल पहाडिया के खिलाफ एसीबी कोर्ट में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है। जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश नन्नूमल पहाडिया की आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि तथ्यों और साक्ष्य के आधार पर याचिकाकर्ता पर रिश्वत मांगने या लेने का आरोप साबित नहीं होता है। इसके अलावा याचिकाकर्ता के पास शिकायतकर्ता का कोई काम भी लंबित नहीं था। ट्रेप कार्रवाई में भी रुपए सह आरोपी अशोक सांखला के चालक नितिन शर्मा से बरामद हुए हैं। शिकायतकर्ता ने जब एसीबी में शिकायत दी थी, उससे पूर्व ही याचिकाकर्ता का अलवर कलेक्टर पद से तबादला कर उन्हें कार्यमुक्त किया जा चुका था। वहीं यदि एसीबी की कहानी पर एक क्षण के लिए विश्वास भी कर लिया जाए तो मामला ज्यादा से ज्यादा धोखाधड़ी का बनता है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जीएस राठौड़ ने अदालत को बताया कि केसीसी बिल्डकॉन प्रा. लि. के प्रतिनिधि इकबाल सिंह ने 22 अप्रैल, 2022 को एसीबी में रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में कहा कि उसकी कंपनी दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेस वे ग्रीन फील्ड सडक़ का निर्माण कर रही है। इसका काम सुचारू चलाने की एवज में अलवर कलेक्टर नन्नूमल पहाडिया मासिक चार लाख और भू प्रबंध अधिकारी अशोक सांखला मासिक पचास हजार रुपए रिश्वत मांग रहे हैं। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए एसीबी ने सांखला के चालक नितिन शर्मा को ट्रेप किया था। इसके बाद याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि जिस दिन एसीबी में शिकायत दी गई, उस दिन याचिकाकर्ता कलेक्टर पद पर नहीं था। इसके अलावा उसके पास शिकायतकर्ता का कोई काम भी लंबित नहीं था। वहीं रोड निर्माण का काम का भी उसे सुपरविजन में नहीं था। याचिका में यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच हुई बातचीत में रिश्वत मांगने का कोई साक्ष्य नहीं था। ऐसे में मामले में की गई आपराधिक कार्रवाई को रद्द किया जाए। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सह आरोपी सांखला ने याचिकाकर्ता के लिए रिश्वत ली थी और एसीबी ने आरोप प्रमाणित मानकर आरोप पत्र पेश किया है। ऐसे में याचिका को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया है।

अदालत ने यह भी कहा

– कंपनी यदि कानूनी रूप से काम कर रही है तो उसे अफसरों से बिना काम संबंध रखने की नहीं थी जरूरत।

– सह आरोपी और पहाडिया के बीच बातचीत में रिश्वत का जिक्र नहीं।

– ट्रेप कार्रवाई पहाडिया से संबंधित नहीं, सह आरोपी के चालक से हुई बरामदगी।

– अभियोजन पक्ष पहाडिया की ओर से रिश्वत मांगने का नहीं पेश कर सका ठोस साक्ष्य।

– पहाडिया 13 अप्रैल, 2022 तबादला होकर 18 अप्रैल को कार्यमुक्त, जबकि शिकायत 22 अप्रैल की।

– निचली अदालतों में मुकदमों का बोझ, झूठे मुकदमों से वास्तविक प्रकरणों की सुनवाई हो रही प्रभावित।

– निचली अदालतों में चल रहे साक्ष्य के अभाव के मामलों को समाप्त करना हाईकोर्ट का कर्तव्य।

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(Udaipur Kiran)

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