Uttrakhand

क्लाउड किचन ऑपरेटरों पर कसा शिकंजा, 15 सितम्बर तक पंजीकरण नहीं करने पर होगी कार्रवाई

प्रतिकात्मक चित्र।

-उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ मंजूर नहीं: राजेश कुमार

देहरादून, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन ने प्रदेश भर में अनधिकृत तौर पर चल रहे क्लाउड किचन ऑपरेटरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके तहत अब क्लाउड किचन के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण से पंजीकरण अनिवार्य होगा। खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन ने सभी आपरेटरों को15 सितम्बर तक भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के तहत पंजीकरण कराने की चेतावनी दी है। इसके बाद विभाग पंजीकरण न कराने वाले ऑपरेटरों के खिलाफ अभियान चलाएगा।

खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन आयुक्त व स्वास्थ्य सचिव डॉ.आर.राजेश कुमार ने कहा कि संज्ञान में आया है कि प्रदेश में संचालित कई क्लाउड किचन खाद्य सुरक्षा और मानकों की अनदेखी कर रहे है। कई प्रतिष्ठान भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में पंजीकृत हुए बिना, स्वच्छता, पीने योग्य पानी के उपयोग और सामान्य स्वच्छता मानकों से संबंधित प्रमुख नियमों का उल्लघंन करते हुए संचालित पाये गये हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पंजीकरण और मानको का अनुपालन सुनिश्चित करने की कवायद की जा रही है। ताकि उपभोक्ताओं को स्वच्छ भोजन मिल सके।

खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजबर जग्गी का कहना है कि उत्तराखण्ड में सभी खाद्य सम्बन्धी व्यवसाय, सार्वजनिक स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाये रखने के लिए सभी क्लाउड किचनके लिए एसओपी बनाई गयी है और इसका अनुपालन करना अनिवार्य है।

अपर आयुक्त ताजबर जग्गी ने बताया कि सभी क्लाउड किचन आपेटरों को खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम, 2006 के तहत 15 सितम्बर तक पंजीकरण कराना होगा। ऐसा न करने वाले आपरेटरों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी। पंजीकरण के लिए आपरेटरों को रसोई परिचालन पते का वैध प्रमाण, फूड हैंडलर का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, पेयजल प्रमाण पत्र, रसोई में उपयोग किये जाने वाले पानी के पीने योग्य होने के सम्बन्ध में जांच रिपोर्ट और रसोईघर परिसर की नियमित सफाई एवं स्वच्छता सुनिश्चित किया जाना शामिल है। इसके अलावा अपशिष्ट के निपटारे की उचित व्यवस्था भी होनी चाहिए।

गौरतलब है कि क्लाउड किचन ऐसे वाणिज्यिक भोजनालय हैं,जहां कोई भी ग्राहक भोजन के लिए नहीं जाता है और खाना टेकआउट या डिलीवरी के लिए ही किया जाता है। देहरादून समेत प्रमुख नगरों और कस्बों में यह व्यवसाय तेजी से फैल रहा है। यह देखा गया है कि वाणिज्यिक रसोई में स्वच्छता मानकों और भोजन की गुणवत्ता पर अक्सर सवाल उठते है। विभाग अब ऐसे क्लाउड किचन आपरेटरोें पर नजर रखेगा।

(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

Most Popular

To Top