शिमला, 17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । प्रदेश में भूमिहीनों और वन भूमि पर वर्षों से काबिज किसानों के खिलाफ चल रही कार्रवाई के विरोध में माकपा (सीपीआईएम) ने गुरुवार को शिमला स्थित मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने वन विभाग के हालिया निर्देशों को किसान विरोधी करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इन्हें वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन के बाद सीपीआईएम प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य वन संरक्षक को ज्ञापन भी सौंपा।
धरने का नेतृत्व कर रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने आरोप लगाया कि मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से हाल ही में एक पत्र जारी किया गया है जिसमें प्रदेश के सभी जिलाधीशों और जिला स्तरीय समितियों को भूमिहीनों व वन भूमि पर बसे किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये आदेश न केवल मानवता के खिलाफ हैं बल्कि इससे उन किसानों की पीढ़ियों की रोजी-रोटी भी छिन जाएगी जो वर्षों से वन भूमि पर निर्भर रहकर जीवन यापन कर रहे हैं।
राकेश सिंघा ने कहा कि प्रदेश सरकार और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी द्वारा वन भूमि पर कब्जा किए हुए किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा गठित जिला स्तरीय समितियों के माध्यम से किसान अपने दावे प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे में वन विभाग द्वारा जारी ये सख्त निर्देश इन किसानों के हक में बाधा बन रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक वन भूमि से 120 से अधिक घरों को खाली करवाया जा चुका है जबकि आजीविका के प्रमुख स्रोत रही लाखों बीघा जमीनों से भी कब्जा हटवाया गया है। सिंघा ने कहा कि यदि विभाग ने अपने आदेश वापस नहीं लिए तो पार्टी राज्यभर में बड़े आंदोलन का रुख अख्तियार करेगी।
सीपीआईएम की मांग है कि सरकार ऐसे सभी किसानों और बागवानों को वन अधिकार अधिनियम के तहत राहत प्रदान करे, जिनकी पीढ़ियां वन भूमि पर निर्भर रही हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
