Uttar Pradesh

भाजपा के राज में आम आदमी की सुनवाई नहीं : भाकपा

साकेंतिक फोटो

लखनऊ, 20 नवम्बर (Udaipur Kiran) । भाकपा (माले) ने कहा है कि मिर्जापुर के विंध्याचल थाना क्षेत्र में अपना दल कार्यकर्ता के परिवार के साथ हुई गुंडागर्दी और उसमें पुलिस निष्क्रियता की घटना, जिसमें केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को हस्तक्षेप करना पड़ा। मोदी-योगी सरकार में कानून व्यवस्था और महिलाओं की वास्तविक स्थिति को बेनकाब करती है।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा और योगी की सरकार में अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस, महिला सशक्तिकरण व बेटी बचाओ की बातें महज दिखावा बनकर रह गई हैं। ‘रामराज्य’ की हकीकत यह है कि गुंडे एक कार्यकर्ता के घर में जबरदस्ती घुसकर शराब पीते हैं। मना करने पर घर की लड़की को घसीट कर ले जाते हैं। विरोध करने पर पिता का सर फोड़ देते हैं और मां की हड्डी पसली तोड़ देते हैं। सोमवार की रात को हुई उक्त घटना में पुलिस चौबीस घंटे तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। एफआईआर तक दर्ज नहीं करती। न ही घायलों का मेडिकल कराती है। गुंडों के खिलाफ कार्रवाई करनी तो दूर की बात है।

राज्य सचिव ने कहा कि कानून व्यवस्था के इस योगी मॉडल का प्रधानमंत्री से लेकर आला भाजपा नेता तक ढोल पीटते हैं। मिर्जापुर अस्पताल में भर्ती अपने कार्यकर्ता के साथ हुई निंदनीय घटना में कार्रवाई के लिए केंद्रीय मंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्हें अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करना पड़ा, तब जाकर एफआईआर हुई। अपना दल एनडीए और केंद्र से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल है। उसके कार्यकर्ता के साथ गुंडों और प्रशासन का यह सलूक रहा है, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि आम आदमी, गरीब-गुरबों पर क्या बीतती होगी।

माले नेता ने कहा कि भाजपा के राज में गुंडों-अपराधियों को ताकत कहां से मिलती है? उत्तर प्रदेश महिलाओं पर हिंसा की घटनाओं में अव्वल क्यों है? इसका कारण मौजूदा सरकार में अपराधियों-दबंगों को दिया जा रहा संरक्षण है। पुलिस भाजपा के इशारे पर काम करती है। बीएचयू गैंगरेप की घटना में भी यह उजागर हुआ। कमजोर वर्गों की सुनवाई थाने और प्रशासन में होती, तो तस्वीर दूसरी होती।

राज्य सचिव ने कहा कि मिर्जापुर की घटना अकेली नहीं है। पड़ोसी जिले सोनभद्र में भी गरीब लोग दबंगई से परेशान हैं। हाल ही में घोरावल थाना क्षेत्र के परसिया गांव में दबंगों ने सरकारी आवास में दशकों से रह रहे अनुसूचित जाति (गोड़) के राम सिंह के परिवार को जबरिया बेदखल कर घर गिरा दिया। ईंट से लेकर गृहस्थी का सारा सामान भी उठा ले गए और जमीन पर कब्जा कर लिया। पूरा परिवार सड़क पर आ गया। शुरु में पुलिस-प्रशासन में कोई सुनवाई नहीं हुई, क्योंकि जमीन पर कब्जा करने वाला भाजपा का नेता है। माले नेताओं के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर तो दर्ज हुई, मगर अभी तक गरीब परिवार को न तो आवास मिला है, न ही जमीन पर कब्जा।

माले नेता ने उम्मीद जताई कि प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर बुधवार को हो रहे उपचुनाव में महिला-अल्पसंख्यक-दलित-आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार को मतदाता सबक सिखाएंगे और 23 नवंबर को निकलने वाले परिणामों में भाजपा की हार होगी।

(Udaipur Kiran) / दीपक

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