प्रयागराज, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसपी भदोही को निर्देश दिया है कि बताएं दहेज उत्पीड़न मामले में पुलिस पति के रिश्तेदारों के खिलाफ बिना स्पष्ट आरोप के रूटीन मैनर में चार्जशीट क्यों दाखिल कर रही है जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि पति के रिश्तेदारों के खिलाफ रूटीन मैनर में दहेज उत्पीड़न केस में चार्जशीट दायर न की जाय।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 30 सितंबर को विवेचना अधिकारी को भी हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी की है और याचियों के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने अंकित कुमार दूबे एवन 7 अन्य की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि पीड़िता ने स्वयं ही धारा 161 के तहत पुलिस को दर्ज करायें बयान में घटना की तिथि का उल्लेख नहीं किया है। जबकि एफआईआर में कहा है कि 5 जनवरी 24 को दहेज उत्पीड़न में उसे मार-पीट कर घर से निकाल दिया गया। उनकी शादी 11 मई 2022 को हुई थी। पीड़िता ने सामान्य आरोप लगाते हुए पूरे परिवार को फंसाया है। यहां तक कि दो अविवाहित देवर व दो विवाहित ननद जो अपने घर में रहती है, उनको भी आरोपित किया है। पुलिस ने बिना किसी ठोस सबूत के सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है पुलिस ने सही विवेचना नहीं की, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि स्पष्ट आरोप के बगैर पति के रिश्तेदारों को रूटीन मैनर में आरोपित न बनाया जाए। याचिका पर अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे