Uttar Pradesh

दीक्षांत समारोह कभी न भूलने वाला पलः दिनेश कुमार शुक्ला

दीक्षांत समारोह का शुभारंभ करते हुए विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला
दीक्षांत समारोह का शुभारंभ संबाेधित करते हुए विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला

मथुरा, 17 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । मंगलवार को जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 13वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला ने अपने चार दशकों के अनुभव को विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए उनसे अपने मूल स्वरूप में रहने की बात की।

उन्होंने कहा दीक्षा एक प्रकिया है, जिसमें गुरु अपने शिष्य को व्यवहारिक शिक्षा, ज्ञान, तकनीकी एवं मूल्यों की शिक्षा देता है। बेहतर इंसान बनाना शिक्षा का मूल उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने नवीन शिक्षा नीति पर बात करते हुए बेहतर नतीजों की उम्मीद जताई।

उन्होंने मानव संसाधन के विकास पर चर्चा की और कहा कि विकसित भारत के मिशन को उचित शिक्षा एवं मानव संसाधन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने तकनीकी विकास पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि तकनीक कभी अच्छी-बुरी नहीं होती, बल्कि नियत के अनुसार उसका प्रयोग इसे अच्छा-बुरा बनाता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के द्वारा आ रहे बदलावों के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि इसके बदले में क्या-कुछ खोया अथवा छोड़ा जा रहा है। उन्होंने एआई के माध्यम से संभावित बदलावों पर चर्चा करते हुए कहा कि कृतिम बुद्धिमत्ता मानव की वास्तविक बुद्धिमत्ता पर हावी ना हो, इसका ध्यान रखने की ज़रूरत है। उन्होंने सभी को प्रासंगिक रहने की सलाह दी एवं कहा कि अपने स्वप्नों को पूरा करने के लिए क्या-“कब-कहां जैसे तत्वों पर ध्यान देने की बात कही।

एआई के बेहतर उपयोग को खुले तीन केन्द्र

सबसे महत्वपूर्ण तीन जगहों में उसका उपयोग करने के लिए भारत सरकार ने 3 सेंटर पिछले माह ही शुरू किए हैं। आईआईटी दिल्ली और एम्स दिल्ली के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा पर एआई उत्कृष्टता केंद्र का उद्देश्य प्रारंभिक रोग की भविष्यवाणी, निदान और महामारी ट्रैकिंग पर ध्यान केंद्रित करना है। यह आयुष दवाओं सहित स्वास्थ्य सेवा के लिए परीक्षणों और डेटा संग्रह सपोर्ट करेगा, जबकि वहनीयता, गुणवत्ता और पहुंच से संबंधित चुनौतियों का समाधान करेगा।

आईआईटी रोपड़ के नेतृत्व में कृषि पर केंद्र का उद्देश्य फसल की पैदावार, मौसम और स्थानीय परिस्थितियों पर डेटा का लाभ उठाकर खेती के तरीकों को बदलना है। पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ एकीकृत करके, यह बुवाई, कटाई और फसल स्वास्थ्य पर एआई-संचालित, वास्तविक समय मार्गदर्शन प्रदान करेगा। यह इसलिए है कि बहुत किसान लोग पीड़ित हैं। कई जगह आत्महत्याएं हो रही हैं तो उनको सही दिशा दिखाने के लिए आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में संधारणीय शहरों पर केंद्र स्मार्ट सिटी नियोजन, यातायात प्रबंधन और कुशल संसाधन वितरण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाएगा। सेंसर, जीआईएस मानचित्रों और उपग्रह फ़ीड से डेटा को एकीकृत करके, यह संसाधन की जरूरतों का अनुमान लगाएगा और सार्वजनिक स्थान के डिजाइन को बेहतर बनाएगा।

संस्थान केन्द्रों से करें एमओयू साइन

उन्होंने कहा कि जब यह तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से सहायता मिलना शुरू होगी तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह तीन ही इंस्टीट्यूट के लिए ही हैं। हमें ऐसे ही उनके साथ एमओयू कर उनसे जुड़कर रिसर्च कर सकते हैं। इसके बाद स्टूडेंट को वहां इंटर्नशिप के रूप में भेजकर उसकी भी पढ़ाई कैसे करवा सकते हैं, इसके लिए हर यूनिवर्सिटी के हर कॉलेज के प्राध्यापकों को कोशिश करनी पड़ेगी। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय को भी प्लानिंग करने की जरूरत है।

प्रदूषण से मुक्ति हेतु पाठ्यक्रमों की आवश्यकता

हमें यही भी सोचने की जरूरत है कि हमारा गांव, शहर और राज्य की प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इस समस्या के कहीं हद समाधान हेतु ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं और यूनिवर्सिटी द्वारा सतत विकास पाठ्यक्रम चलाये जायें, जिससे विद्यार्थियों का इस ओर ध्यान आकर्षित हो और छात्र जब इंटर्नशिप पर जायें अथवा जॉब पर जायें तो वह अपनी कार्यशैली में प्रदूषण रहित विकास की भावना के साथ कार्य करे यह बहुत महत्वपूर्ण है।

हैकाथॉन से बढ़ रही भारत की ताकत

इसके अलावा आप सभी लोग यानि इनोवेटर हो। भारत की इनोवेटिव ताकत कितनी है यह हम नहीं जानते थे। यह एआईसीटीई ने जो स्मार्ट इंडिया हेकाथॉन शुरू किया। इसमें जीएलए के भी कई छात्रों ने प्रतिभाग किया होगा। इसका हाल ही में सातवां एडीशन पूरा हुआ है। अभी आठवां चल रहा है। इसके तहत सरकारी विभागों की समस्या, कंपनियों की समस्या, ऑटोमेटिक एनर्जी की समस्या, स्पेस साइंस की समस्या, रेलवे की समस्या, स्वास्थ्य मंत्रालय की समस्या या किसी एनजीओ की समस्या को छात्रों के सामने पेश करने के बाद जो समाधान निकल रहे हैं। उस समाधान से देश को आगे बढ़ने में काफी मदद मिल रही है। अनेक स्टार्टअप संचालित हो रहे हैं। पिछले नौ वर्ष पहले की बात की जाय तो ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर भारत था, लेकिन पहली ही बार में पिछले वर्ष जब यह इंडेक्स जारी हुई तो भारत 39वें स्थान पर पहुंचा। इसी तरह आधा रास्ता तय हो चुका है और आधा करना बाकी है। भारत की 140 करोड से अधिक आबादी है। आगे भी लोकतंत्र के हिसाब से आगे बढ़ना है।

भारत के डीएनए में है उद्यमिता और इनोवेशन

भारत की आत्मा, भारत का डीएनए वह उद्यमिता और इनोवेशन का है, तो इसलिए हमारे जो अनपढ़ लोग हैं वह जो भी इनोवेशन/नवाचार करते है, भले ही उसको जुगाड़ कहा जाता है। वह किसी से कम नहीं है। ऐसे लोगों को भी आगे लाने के लिए राष्ट्रीय इनोवेशन फाउंडेशन जो कि गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है। वहां धूल के पेटेंट किए जा रहे हैं और जो कॉलेज और यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करते हैं उनमें तो कहीं अधिक ज्यादा सामर्थ्य होना चाहिए।

(Udaipur Kiran) / महेश कुमार

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