Uttar Pradesh

समाज में महिलाओं का योगदान पुरुषों से कहीं अधिक : प्रो. संगीता श्रीवास्तव

प्रो वसुधा पाण्डेय

-इलाहाबाद विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन केंद्र की ओर से व्याख्यान

प्रयागराज, 06 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शुक्रवार को प्रो. ईश्वर टोपा सभागार में महिला अध्ययन केंद्र की ओर से व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें लेडी श्रीराम कॉलेज की प्रोफेसर वसुधा पांडे ने ‘जेंडरिंग हिस्ट्री’ विषय पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास में महिलाओें का योगदान पुरूषों से अधिक रहा है। हिन्दू धर्म में महिलाओं को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।

कुलपति ने देवियों को उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दू देवियों के आठ हाथ यह दर्शता है कि महिलाएं मल्टीटास्किंग में सक्षम हैं। केवल महिलाएं ही सभी कार्यों में सक्षम हैं। महिलाओं को भारतीय समाज में गृहलक्ष्मी का स्थान प्राप्त है। वर्तमान में जरूरी है कि पुरूष भी महिलाओं के साथ घरेलू कार्यों में हाथ बंटाएं। माताओं की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे लड़कों को भी घरेलू कार्यों के बारे में बताएं।

वहीं, इससे पहले अतिथि वक्ता प्रो. वसुधा पांडे ने महिला अधिकारों के संघर्ष पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 1960 के करीब हुए महिला आंदोलनों से महिला अध्ययन जैसे नए विषयों की नीव पड़ी। उन्होंने यूरोप के इतिहास में महिलाओं के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि ज्यादातर लोग फ्रांस की क्रांति में ब्रदरहुड की बात करते हैं, किंतु महिलाओं का आंदोलन भी इस समय एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा था। इसको इतिहास में नजरअंदाज किया जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के संदर्भ में भी बताया कि अधिकांशत हम स्वतंत्रता आंदोलन में जिन नेताओं का जिक्र करते हैं उसमें महिलाओं की संख्या नगण्य ही होती है। जबकि महिलाओं की स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी पुरुषों के बराबर ही थी।

उन्होंने कहा कि समान वेतन और अन्य अधिकारों के लिए महिलाओं के संघर्षों के कारण हमें वर्तमान में पूर्ण अधिकार प्राप्त हो सके हैं। हालांकि अभी भी हमें पूर्ण अधिकार को जमीनी स्तर पर हासिल करने में लम्बे संघर्ष की जरूरत है। उन्होंने कहा समाज के निर्माण के लिए हमारी संस्कृति महत्वपूर्ण है। संस्कृति के आधार पर पुरूष प्रधान और महिला प्रधान समाज का निर्माण हुआ है। इस दौरान उन्होंने अपने अध्ययन के समय आई अड़चनों को भी साझा किया।

इससे पूर्व, महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो. जया कपूर ने स्वागत भाषण में कहा कि महिला अध्ययन केंद्र विश्वविद्यालय के विभागों एवं अन्य संस्थाओं के साथ भी अकादमी एवं आउटरीच गतिविधियों के लिए सहयोग की लिए तैयार है। आज के संदर्भ में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए समाज में उनके प्रति संवेदीकरण बहुत जरूरी है और केंद्र इस संदर्भ में अपनी भूमिका अच्छी तरह समझता है। उन्होंने केंद्र के पूर्व के निदेशकों की ओर किए कई कार्यों को संस्थान की प्रगति में मील का पत्थर बताया। वहीं, प्रो. सर्वजीत मुखर्जी ने महिला अध्ययन केद्र स्वर्णिम इतिहास और वर्तमान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर रजिस्ट्रार प्रो. आशीष खरे, विज्ञान संकाय के डीन प्रो. बेचन शर्मा, कला संकाय के डीन प्रो. संजय सक्सेना, एकेडमिक प्रोग्राम के डीन प्रो. अनुपम पांडेय और आईसीसी की चेयरपर्सन प्रो. इंद्राणी मुखर्जी सहित विभागाध्यक्ष, सम्बद्ध महाविद्यालयों के तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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