मुंबई, 03 दिसंबर (Udaipur Kiran) । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुंबई में कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था का योगदान जरूरी है। इसके लिए हर व्यक्ति की आय को आठ गुना करना है। हर व्यक्ति की आय आठ गुना करने में सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का है, किसान कल्याण का है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुंबई में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के शताब्दी स्तंभ का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी एक ऐसा संगठन है जो कपास उत्पादन और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान देता है। केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान की स्थापना 1924 में हुई थी। यह संगठन कपास क्षेत्र में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुझे आशा की किरण नजर आ रही है। एक अनुभवी व्यक्ति आज के दिन भारत का कृषि मंत्री है। शिवराज जी, आपके सामने चुनौती है किसान कल्याण की, ग्रामीण विकास की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब बात करते हैं विकसित भारत की, विकसित भारत का रास्ता किसान के दिल से निकलता है यह हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। किसान यदि आज के दिन आंदोलित हैं, उस आंदोलन का आकलन सीमित रूप से करना बहुत बड़ा गलतफहमी और भूल होगी। जो किसान सड़क पर नहीं है, वह भी आज के दिन चिंतित हैं। आज के दिन परेशान है। भारतीय अर्थव्यवस्था जो आज उचाई पर है, पांचवीं महाशक्ति है हम दुनिया में तीसरी बनने वाले हैं पर एक बात याद रखिये, भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा मिलना है तो हर व्यक्ति की आय को आठ गुना करना है। उस आठ गुना करने में सबसे।सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का है, किसान कल्याण का है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसान के लिए जितना किया जाए कम है। जितना किसान के लिए करो उसका असर देश पर पड़ेगा, सकारात्मक रूप से पड़ेगा। जब संस्थाओं को देखता हूँ और पाता हूँ कि इनका असर कहाँ पर है। हमें अंदर झांकने की आवश्यकता है कि अब तक हम ऐसा क्यों नहीं कर पाए। क्या दुनिया में कृषि का विकास नहीं हो रहा है। तकनीकें नहीं आ रही हैं? यह सोचने की बात है। मैंने 2 दिन पहले चिंता व्यक्त की थी कि किसान आंदोलित हैं। मैंने किसान भाइयों से आह्वान किया था की हमें निपटारे की ओर बढ़ना चाहिए।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को एक संदेश दिया कि मसला कितना भी बड़ा हो, विवाद कितना भी गंभीर हो उसका समाधान बातचीत से है और विश्व स्तर पर स्तर पर कूटनीति से है। हम अपनों से नहीं लड़ सकते, हम अपनों को इस हालत में नहीं डाल सकते की वो कब तक लड़ेंगे। हम यह विचारधारा नहीं रख सकते कि उनका पड़ाव सीमित रहेगा, अपने आप थक जाएंगे। अरे भारत की आत्मा को परेशान थोड़ी ना करना है, दिल को चोटल थोड़ी ना करना है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ सुदेश धनखड़, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सचिव एवं महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक के साथ ही संगठन के पदाधिकारी, कृषि विशेषज्ञ, शोधकर्ता एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) यादव