HimachalPradesh

बकाया बिलों का भुगतान न हुआ तो ठेकेदार करेंगे चक्का जाम

मंडी, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । सरकारी काम करने के बाद भी ठेकेदारों को भुगतान न करने से आर्थिक संकट से जूझ रहें ठेकेदारों ने जल्द ही भुगतान न होने और ट्रेजरी न खोलने पर चक्का जाम करने को सरकार को चेताया है। ठेकेदारों का कहना है कि लंबे समय से उनके बिलों का भुगतान न होने के कारण वह बैंकों के ऋण व मार्किट की उधारी चुना नहीं पा रहें है। जिसके कारण भुगतान के लिए घर बार बेचने की नौबत आन खड़ी है।

ठेकेदारों ने कहा है कि प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि ट्रेजरी बंद कर दी गई है। जिसके कारण सरकारी विभागों में कार्य व्यवस्था चरमरा के रह गई है। सरकार बताये कि किस कारण से ट्रेजरी बंद की गई है।

शुक्रवार को सुंदरनगर में सरकारी ठेकेदार कल्याण परिषद मंडी जोन की बैठक केशव नायक की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में मंडीए कुल्लू व लाहौल स्पीति के निर्माण कार्य से जुड़े सरकारी व्यवसायी ठेकेदारों ने भाग लिया। इस मौके पर सदस्यों ने कहा कि ठेकेदार प्रदेश व राष्ट्र निर्माण में अपनी अरबों रुपये की पूंजी लगाकर उज्जवल भविष्य करने को लेकर कार्य कर रहें है। वहीं सरकार के विकास के पहिये को तेज गति दे रहें है और सरकारें किसी भी विकास कार्य की प्रथम नींव ठेकेदार द्वारा रखवाई जाती है तथा जनता को समर्पित भी ठेकेदारों के माध्यम से ही जनता को करती है। हिमाचल प्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से प्रवासी व प्रदेश के पांच लाख से अधिक कामगारों को रोजगार प्रदान में ठेकेदारों की अहम भूमिका है। साथ ही साथ लाखों पढ़े लिखे युवा साथी इंजीनियर, अकाउंटस व प्रबंधन के पदों पर आसीन किये हुए है। लेकिन दुर्भाग्य है कि प्रदेश सरकार के ब्यूरोक्रेट्स द्वारा जारी मौखिक आदेश के अनुसार वित्तीय भुगतान पर तीन महिने से रोक लगा दी गई है। जिसके कारण प्रदेश भर में बेरोजगारी का आलम होगा। बेरोजगारी के साथ-साथ प्रदेश में क्रेशर, ईंट भ_ों, हार्डवेयर की दुकानों, सरिया, सीमेंट तथा निर्माण सामग्री में भारी गिरावट के कारण प्रदेश के राजस्व का भी नुक्सान हो रहा है।

इस मौके पर केशव नायक ने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में सरकारी निर्माण से जुड़े ठेकेदारों का करीब 600 करोड़ रुपये ट्रेजरी में भुगतान के लिए लंबित है और 2100 करोड़ रुपए की राशि से अधिक लंबित बिल विभागों के पास पड़े है। उन्होंने कहा कि ट्रेजरी में लंबित भुगतान के कारण ठेकेदारों को जीएसटी का करीब 200 करोड़ रुपए अतिरिक्त बोझ पड़ा है। इस मौके पर प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि सरकार बजट सत्र से पहले ठेकेदारों का लंबित भुगतान करना सुनिश्चित करें नहीं तो ठेकेदारों का वित्तीय चरित्र खराब होने के साथ सरकार के जीण्एसण्टीण् राजस्व का भी हजार करोड़ से अधिक का नुक्सान होगा। जिसके कारण सरकार की विकास की जो गति है उसके पहिये थम जाएंगे। इस मौके पर विजय कपूर, केडी निराश, भूपेंद्र महाजन, राजेश कंपलेक्स, नारायण सिंह, प्रेम, विकास, मनीष शर्मा, ऋषि, संदीप व नवनीत, नकलू सहित अन्य ठेकेदारों ने भी बैठक में अपने विचार रखें।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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