Haryana

हिसार : कृषि मेले में ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दिया गया ठेका

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं ऑल इंडिया राहुल गांधी कांग्रेस कमेटी के सदस्य वजीर पूनिया

हिसार, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं ऑल इंडिया राहुल गांधी कांग्रेस कमेटी के सदस्य वजीर पूनिया ने यहां के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोमवार से आयोजित होने वाले कृषि मेले में ब्लैक लिस्टेड कंपनी को ठेका देने व अन्य अनियमितताएं बरते जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इन तमाम मामलों की जांच की मांग की है।

वजीर सिंह पूनिया ने रविवार को कहा कि एचएयू एशिया के अग्रणी कृषि संस्थानों में से एक है और साल दो बार कृषि मेला आयोजित करता है। इस प्रतिष्ठित आयोजन में न केवल हरियाणा बल्कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब सहित कई अन्य राज्यों से किसान और कृषि से जुड़े विशेषज्ञ हिस्सा लेते हैं। इस मेले का उद्देश्य किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों, शोध और प्रगतिशील खेती से अवगत कराना है ताकि वे अपनी पैदावार और कृषि से संबंधित ज्ञान को बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि अब 16 व 17 सितंबर को होने वाले कृषि मेले के संबंध में गंभीर आरोप सामने आए हैं।

वजीर पूनिया के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने ब्लैक लिस्टेड कंपनी को आनन-फानन में स्टॉल एग्ज़ीबिशन का ठेका दिया है। आमतौर पर यह ठेका एक महीने पहले ही जारी किया जाता है लेकिन इस बार यह ठेका मेले से मात्र 6 दिन पहले 24 हजार 190 रुपये प्रति स्टॉल की दर से दिया गया। यह कंपनी भारत सरकार के एक विभाग द्वारा ब्लैकलिस्ट की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 30 जुलाई को एक एक्ज़ीबिटर कंपनी ने विश्वविद्यालय के डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन को इस कंपनी के ब्लैकलिस्टेड होने की शिकायत दी थी लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टा, आरोप यह भी है कि शिकायतकर्ता एक्ज़ीबिटर को धमकाकर चुप करवा दिया गया। यह मामला विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाता है।

वजीर सिंह पूनिया ने बताया कि यह पहली बार नहीं है कि विश्वविद्यालय पर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलीभगत कर बीजों की चोरी और कालाबाजारी का आरोप लगाया गया था। किसानों ने बीजों की कालाबाजारी के खिलाफ आंदोलन भी किया था पिछले किसान मेले में भी वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए थे। आरोप है कि प्रशासन ने मेले के फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर करने के लिए साइंटिस्ट्स पर दबाव डाला था।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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