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द्रव्यवती नदी का रखरखाव कार्य प्रभावी तौर पर जारी रखें, जेडीए व कंपनी से सालाना रिपोर्ट भी मांगी

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि स्वच्छ और प्रदूषण रहित वातावरण में रहना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और सरकार प्रदूषण रहित वातावरण बनाए रखने और उसे नागरिकों को प्रदान करने के लिए बाध्य है। यह राज्य सरकार का संवैधानिक कर्तव्य भी है। यदि द्रव्यवती नदी के प्रोजेक्ट का संचालन व रखरखाव सही तरीके से नहीं होता है और इसकी उचित निगरानी नहीं होती है तो यह निश्चित तौर पर आमजन के लिए नुकसानदेह होगा। वहीं इससे उनके मौलिक अधिकारों की भी अवहेलना होगी। इसके साथ ही अदालत ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए पक्षकारों को निर्देश दिए हैं कि वे द्रव्यवती नदी का रखरखाव प्रभावी तौर पर जारी रखें। अदालत ने जयपुर विकास प्राधिकरण व कंसोर्टियम ऑफ टाटा प्रोजेक्ट्स को कहा है कि वे द्रव्यवती नदी के रखरखाव की वार्षिक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह निर्देश जेडीए की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। अदालत ने कहा कि दस्तावेज से स्पष्ट है कि एक समय में कंपनी का अनुबंध खत्म हो गया था और उस समय द्रव्यवती नदी का रखरखाव सही तरीके से नहीं हुआ। इससे द्रव्यवती नदी के निकटवर्ती क्षेत्रों में एसटीपी के काम नहीं करने से बदबू आने लग गई थी और उन इलाकों में लोगों का ताजा सांस लेना भी मुश्किल हो गया था। मामले के तथ्यों से स्पष्ट है कि जेडीए व कंपनी के बीच द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट को लेकर 206.08 करोड रुपए का अनुबंध हुआ है। अनुबंध की यह राशि सीधे तौर पर जनता के हितों से जुडी हुई है और ऐसे में द्रव्यवती नदी का उचित रखरखाव करना राज्य सरकार सहित संबंधित पक्षकारों का दायित्व है।

मामले में जेडीए के अधिवक्ता अनुरूप सिंघी ने बताया कि अदालत ने कॉमर्शियल कोर्ट के 24 अप्रैल 2024 के आदेश को भी संशोधित करते हुए जेडीए को कहा है कि वह कॉमर्शियल कोर्ट में अवार्ड की 50 फीसदी राशि नगद की बजाय उसे किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की एफडीआर के तौर पर जमा करवाए। गौरतलब है कि जेडीए व टाटा प्रोजेक्ट कंपनी के बीच द्रव्यवती नदी के रखरखाव को लेकर हुए अनुबंध को लेकर दोनों पक्षों के बीच में विवाद हो गया था। इस पर आब्रिटे्रटर ने कंपनी के पक्ष में 52 करोड रुपये का अवार्ड जारी किया था। जिसे जेडीए ने कॉमर्शियल कोर्ट में चुनौती दी। जिस पर कोर्ट ने जेडीए को 26 करोड रुपये नगद जमा करवाने का निर्देश दिया था। कॉमर्शियल कोर्ट के इस आदेश को जेडीए ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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(Udaipur Kiran)

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