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कोर्ट को गुमराह करने वाले याची को अवमानना नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-4 नवम्बर को हाजिर होने का निर्देश

प्रयागराज, 18 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत कानून जानती है, तथ्य नहीं। इसलिए कोर्ट की अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए अनुच्छेद 226 में सभी तथ्यों का खुलासा करते हुए स्वच्छ हृदय से याचिका दाखिल करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा याची तथ्यों को लेकर हाइड एंड सीक या पिक एण्ड चूज करने की नीति अपनाकर कोर्ट को गुमराह नहीं कर सकता।

याची ने जानते हुए आधे अधूरे तथ्यो के साथ कोर्ट को गुमराह करने के लिए याचिका दायर की है। जिसे बिना मेरिट पर सुनें खारिज कर दिया है और याची हेमंत कुमार को अवमानना नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाय। कोर्ट ने याची हेमंत कुमार को सफाई के साथ 4 नवम्बर को हाजिर होने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने एस बी जे इंटर कालेज बिसवार, हाथरस के लेक्चर हेमंत कुमार की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में याची ने प्रधानाचार्य का वेतनमान तय कर 1 नवम्बर 19 से भुगतान करने की मांग की गई थी।

मालूम हो कि काॅलेज के प्रधानाचार्य देवराज सिंह को गबन व अनियमितता के आरोप में निलम्बित कर दिया गया। जिला विद्यालय निरीक्षक ने 21 जनवरी 19 को इसका अनुमोदन भी कर दिया। 24 मार्च 19 को प्रधानाचार्य को बर्खास्त कर दिया गया। किंतु इस आदेश का माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अनुमोदित करने से इंकार कर दिया। इसके खिलाफ प्रबंध समिति की याचिका पर हाईकोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया। इन सभी तथ्यों की याची व उसके अधिवक्ता को पूरी जानकारी थी। अधिवक्ता प्रबंध समिति के एक केस में भी वकील थे। फिर भी तथ्य छिपाकर याचिका दायर की।

विपक्षी देशराज सिंह प्रधानाचार्य है और याची लेक्चरर। कोर्ट ने कहा याची ने तथ्य की जानकारी के बावजूद कोर्ट को गुमराह करने के लिए याचिका दायर की। जबकि याचिका तथ्य के खुलासे के साथ दाखिल की जानी चाहिए। जिसे कोर्ट ने गम्भीरता से लिया है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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