-वन्यजीवों के आवास पर अतिक्रमण से मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा
-वानिकी महाविद्यालय शुआट्स ने 70वां वन्य जीव सप्ताह मनाया
प्रयागराज, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां एशियाई शेर और बाघ दोनों एक साथ पाए जाते हैं। वन्यजीवों का संरक्षण भारतीयों की मूल सांस्कृतिक पहचान है। यह बातें भा.वा.अ.शि.प. पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज के केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने कही।
सोमवार को पर्यावरण की रक्षा के लिए सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय के वानिकी महाविद्यालय में 2 से 8 अक्टूबर तक “सह अस्तित्व के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण“ विषय के साथ वन्यजीव सप्ताह का 70वाँ संस्करण मनाया जा रहा है। डॉ. संजय सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि इस बात पर जोर दिया कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इन-सीटू और एक्स-सीटू संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। वन्यजीवों के आवासों पर अतिक्रमण के कारण मानव वन्यजीव संघर्ष दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।
डीन एवं निदेशक, वानिकी महाविद्यालय के प्रो.डॉ. एंटनी जोसेफ राज ने कहा कि भारत 17 मेगा-विविधता वाले देशों में से एक है और दुनिया के 36 जैव विविधता हॉट स्पॉट में से चार का मेजबान है। वन्यजीव संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता के कारण हमारे देश ने 106 राष्ट्रीय उद्यानों, 573 वन्यजीव अभयारण्यों, 115 संरक्षित क्षेत्र और 220 सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र सहित 1014 संरक्षित क्षेत्रों का तंत्र स्थापित किया है। जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 5.32 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है।उन्हाेंने प्रोजेक्ट टाइगर के माध्यम से हमारे देश में बाघ संरक्षण प्रयासों पर कहा कि 2006 में 1,411 से 2023 में 55 टाइगर रिजर्व के साथ बाघों की आबादी 3,682 हो जाना एक सफलता है और भारत अब दुनिया की 70 प्रतिशत से अधिक जंगली बाघ आबादी का घर है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र उपस्थित थीं। डॉ. अफाक ने बताया कि पहला वन्यजीव दिवस 02 अक्टूबर 1955 को मनाया गया था, लेकिन बाद में नाम बदलकर वन्यजीव सप्ताह कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पहला वन्यजीव सप्ताह 2 से 8 अक्टूबर 1957 में मनाया गया था। वानिकी महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ. अभिषेक जेम्स ने औपचारिक धन्यवाद प्रस्तुत किया। छात्रों के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की गयीं जिसमें क्विज प्रतियोगिता, ड्राइंग प्रतियोगिता, वन्यजीव फोटोग्राफी प्रतियोगिता और वैज्ञानिक नाम (जंगली जानवर और पक्षी) लेखन प्रतियोगिता थीं। प्रतियोगिताओं के योग्य विजेताओं को प्रमाण पत्र और पुरस्कार वितरित किए गए।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र