जम्मू,, 15 मई (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले सप्ताह अचानक हुए संघर्षविराम को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहl कि यह युद्धविराम एक तीसरे देश की मध्यस्थता से हुआ, जिससे देश की 140 करोड़ जनता के मन में कई सवाल पैदा हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने बुधवार को राजौरी में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पार्टी इस मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहती, लेकिन तीसरे देश की भूमिका भारत की विदेश नीति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पहले ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं। कर्ऱा ने कहा, “हमारे देश की घोषित विदेश नीति किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को मान्यता नहीं देती। फिर भी 10 मई को अचानक संघर्षविराम की घोषणा होती है, और दोनों देश उसे स्वीकार कर लेते हैंकृयह कई सवाल खड़े करता है।” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों की स्थिति को लेकर गंभीर हैं। कांग्रेस जल्द ही सभी प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी और पाकिस्तानी गोलाबारी के दौरान (7 से 10 मई) हुए नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को सौंपेगी। कर्ऱा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान भी उन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव था, लेकिन उन्होंने भारत की गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं किया। इस मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता रमन भल्ला, विधायक इफ्तिखार अहमद और मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा भी मौजूद थे। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने थन्नामंडी, राजौरी और नौशहरा विधानसभा क्षेत्रों के शेलिंग प्रभावित इलाकों व राहत शिविरों का दौरा कर लोगों से मुलाकात की। कऱ्रा ने सरकार से प्रभावित परिवारों को शीघ्र मुआवजा देने और पुनर्वास की व्यवस्था प्राथमिकता से करने की मांग की।
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(Udaipur Kiran) / अश्वनी गुप्ता
