
भाेपाल, 24 मई (Udaipur Kiran) । संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर ग्वालियर में विवाद गहराता जा रहा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि न्यायालय परिसर में बाबा साहेब की प्रतिमा स्थापित की जाए, लेकिन इन आदेशों के बाद भी कई रुकावटें आ रही है। अब मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति विभाग डाॅ अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना के लिए सत्याग्रह मार्च निकालने जा रहा है। यह सत्याग्रह मार्च भाेपाल से ग्वालियर तक निकलेगा।
मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने शनिवार काे बयान जारी कर कहा कि इस पूरे मामले को लेकर बाबा साहेब में आस्था रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं में रोष है। वे इस अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्याग्रह मार्च की शुरुआत करेंगे, जो भोपाल से ग्वालियर तक निकाला जाएगा। यह मार्च न सिर्फ एक मूर्ति की स्थापना की मांग करेगा, बल्कि यह आत्मसम्मान, सामाजिक न्याय और संवैधानिक चेतना के समर्थन में जन-जागरण का माध्यम भी बनेगा। अहिरवार ने कहा कि यह आंदोलन बाबा साहेब के विचारों की रक्षा के लिए है।
प्रदीप अहिरवार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से ग्वालियर में बाबा साहेब के अनुयायियों और एक अन्य पक्ष के लोगों के बीच टकराव की घटनाएं भी सामने आई हैं। दोनों पक्षों में कहासुनी और आपसी झड़प के मामले दर्ज हुए हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव व्याप्त है। स्थानीय प्रशासन ने अब तक मामले को सुलझाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है, जबकि पुलिस की निष्क्रियता से आक्रोशित दलित समाज अब सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। प्रतिमा स्थापना को केवल धार्मिक या वैचारिक मुद्दा बनाकर टालना, संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
प्रदीप अहिरवार ने कहा, बाबा साहेब की प्रतिमा केवल एक शिल्प नहीं, बल्कि वह प्रतीक है उस संघर्ष का, जिससे वंचितों, दलितों, महिलाओं और श्रमिकों को समान अधिकार मिले। यह प्रतिमा न्यायपालिका के परिसर में लगे, इससे बड़ा संदेश कुछ नहीं हो सकता कि भारत का संविधान और उसकी आत्मा आज भी प्रासंगिक है। प्रशासन को न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए बिना किसी भेदभाव के तत्काल प्रतिमा स्थापना की प्रक्रिया को पूरी करवाना चाहिए। सत्याग्रह मार्च के ज़रिए यह आवाज़ अब पूरे राज्य और देश में गूंजेगी कि बाबा साहेब का अपमान अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे
