Uttrakhand

कांग्रेस ने केदारनाथ धाम को लेकर भाजपा पर साधा निशाना, करन माहरा बोले- दिल्ली ले जाई गई शिला अब तक नहीं आई वापस

उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा।

देहरादून, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड कांग्रेस ने केदारनाथ धाम को लेकर भाजपा सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि श्रीकेदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का उद्देश्य केदारनाथ धाम की प्रतिष्ठा के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकना था। अभी तक केवल दिल्ली के बौराड़ी में बन रहे केदारनाथ निर्माण रोका गया है, लेकिन केदारनाथ धाम से ले जाई गई शिला अब तक केदारनाथ धाम वापस नहीं आई है। दिल्ली के सेठोें ने क्यूआर कोड से जो चंदा एकत्र किया वह भी अभी वापस नहीं किया गया है। शंकराचार्य का अपमान करने के बावजूद उनसे अभी तक माफी नहीं मांगी गई है और 228 किलो सोना पीतल में कैसे बदला इसका जबाव भी देश की जनता को नहीं मिला है।

प्रदेश मुख्यालय पर मीडिया से बातचीत के दौरान प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि केदारनाथ में जलाभिषेक और भैरव बाबा मंदिर में अर्जी लगाकर सनातनियों ने केदारनाथ धाम के साथ हो रहे सरकारी षड्यंत्रों से रक्षा और न्याय की गुहार लगाई। साथ ही श्रीकेदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का समापन किया। उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग पर स्थानीय व्यवसायों, तीर्थ पुरोहितों और मजदूर वर्ग के साथ सरकारी स्तर पर मनमानी की शिकायत सभी वर्गों ने की है। केदारनाथ यात्रा को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही थी, लेकिन दुर्गम यात्रा होने के बावजूद रास्ते में कहीं भी स्वास्थ्य सेवाएं नजर नहीं आई। कहीं भी ऑक्सीजन पार्लर नजर नहीं आए। जबकि वहां सबसे अधिक परेशानी ऑक्सीजन की कमी के कारण ही होती है। रजिट्रेशन के नाम पर न केवल कांग्रेस की प्रतिष्ठा यात्रा प्रभावित हुई बल्कि स्थानीय व्यापारी भी प्रभावित हुए। व्यापारियों ने जो बैंक कर्ज लिया है उसकी किश्त भी देनी मुश्किल है। माहरा ने कहा कि स्थानीय हक-हकूक धारियों से भी टेंट कॉलौनी के नाम पर 80 हजार रुपये प्रति टेंट वसूला गया है। यात्रा न चलने के कारण स्थानीय युवाओं को भारी नुकसान हुआ है। यही नहीं, 5,900 रुपये प्रति कच्ची दुकान का भी प्रशासन ने पर्ची काटी है। उसके बाद उन्हीं दुकानदारों का वन विभाग ने 10 हजार का चालान काटा है। इससे स्पष्ट है कि सरकारी विभागों में कोई संवाद नहीं है और आर्थिक शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि घोड़ा-खच्चर संचालकों से प्रति घोड़ा एक चक्कर आने-जाने के 300 रूपये वसूले जाते हैं उसके बावजूद जगह-जगह पर अवैध रूप से अलग से 1000-2000 के चालान काटे जा रहे हैैं।

उन्होंने कहा कि श्रीकेदारनाथ धाम में पुर्न निर्माण के नाम पर तीर्थ पुरोहितों और अन्य हक-हकूक धारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। इसका लगातार विरोध हो रहा है। अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलाकर लोगों के प्रतिष्ठानों को तोड़ा जा रहा है। इससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन सरकार अपनी मनमानी पर अड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि निर्माण के नाम पर एनजीटी के आदेशों की धज्जियां खुलेआम उडाई जा रही है। केदारनाथ धाम में एक मंजिल से अधिक का निर्माण प्रतिबंधित है परंतु बहुमंजिला भवन धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं। केदारनाथ आपदा के समय जिस भीम शिला ने मंदिर की रक्षा की, उसके पीछे भी बड़ी-बड़ी मशीनों से खुदाई की जा रही है। वहां बड़े निर्माण की तैयारी की जा रही है।

करन माहरा ने कहा कि 31 जुलाई को घटित आपदा में लापता और मृत व्याक्तियों का अभी तक सही-सही आंकड़ा प्रशासन के पास नहीं है और ना ही आपदा में हुए नुकसान का सही मूल्यांकन किया गया है। इससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि ऑल वेदर रोड भी जगह-जगह आपदा ग्रस्त है और प्रशासनिक व्यवस्थाएं नदारद हैं। इससे श्रद्वालुओं और आम जनमानस को भारी परेेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान महानगर अध्यक्ष डॉ. जसविन्दर सिंह गोगी, प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट, वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयेंद्र रमोला, नगर पालिका पिथौरागढ़ के पूर्व अध्यक्ष जगत सिंह खाती आदि उपस्थित थे।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण

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