Jammu & Kashmir

कांग्रेस राजनीतिक लाभ के लिए संविधान की पवित्रता का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रही- सत शर्मा

जम्मू 19 जनवरी (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष सत शर्मा ने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के नारे के तहत कांग्रेस की हालिया पदयात्रा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी राजनीतिक लाभ के लिए संविधान की पवित्रता का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रही है। जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और अत्यधिक निंदनीय है। सत शर्मा रविवार को पार्टी मुख्यालय में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की बैठक को संबोधित कर रहे थे जिसमें महासचिव एवं विधायक डॉ. देविंदर कुमार मन्याल और मोर्चा अध्यक्ष रणजोध सिंह नलवा भी शामिल थे। यह बैठक भाजपा के 75वें संविधान दिवस के उपलक्ष्य में संविधान गौरव अभियान के तहत किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला के संबंध में बुलाई गई थी। सत शर्मा ने कहा कि यह वास्तव में बहुत चिंताजनक है कि प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और अखंडता की रक्षा के लिए बनाए गए एक दस्तावेज को कांग्रेस नेतृत्व द्वारा महज दुष्प्रचार का साधन बना दिया जा रहा है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हरकतें और हालिया बयान जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से एक राजनीतिक स्टंट के अलावा और कुछ नहीं हैं। संवैधानिक प्रावधानों की उनकी चुनिंदा व्याख्या और उन मुद्दों पर उनकी सुविधाजनक चुप्पी जहां उनकी सरकारें संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने में विफल रही हैं। उनके पाखंड को उजागर करती हैं।

सत शर्मा ने आगे कहा कि दशकों से कांग्रेस पार्टी संविधान के दुरुपयोग के कई मामलों के लिए जिम्मेदार रही है। मौलिक अधिकारों को कम करने वाले आपातकाल को लागू करने से लेकर निर्वाचित राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करने तक कांग्रेस का अपने स्वयं के एजेंडे के लिए संविधान को कमजोर करने का ट्रैक रिकॉर्ड है। डॉ. देविंदर कुमार मन्याल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विडंबना यह है कि यह पार्टी अब अपने ऐतिहासिक विश्वासघात को भूलकर खुद को संविधान का संरक्षक बताती है। यह स्पष्ट है कि उनका ध्यान संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने पर नहीं बल्कि खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए भय और गलत सूचना फैलाने पर है। रणजोध सिंह नलवा ने कांग्रेस नेतृत्व से संविधान के नाम पर राजनीति करना बंद करने और राष्ट्र की प्रगति के लिए रचनात्मक कार्य करने का आग्रह किया। अब समय आ गया है कि वे विभाजनकारी आख्यानों की तुलना में लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दें।

(Udaipur Kiran) / मोनिका रानी

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