देहरादून, 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की स्थिति अब तक स्पष्ट न होने से राजनीतिक दलों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उच्च न्यायालय ने नवंबर में चुनाव कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन आरक्षण को लेकर स्थिति साफ न होने से दावेदारों की रणनीतियों पर असर पड़ रहा है।हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने चुनावी तैयारियों की शुरुआत कर दी है। भाजपा और कांग्रेस के संभावित महापौर पद के प्रत्याशी जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं, लेकिन आरक्षण के विषय पर निर्णय न होने से प्रत्याशियों का चयन अधर में लटका हुआ है।भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा कि उनकी पार्टी हर चुनावी प्रक्रिया के लिए हमेशा तैयार रहती है। उन्होंने माना कि आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से थोड़ी बाधा आई है, लेकिन संगठन स्तर पर तैयारियां तेज हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट होगी, महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और अन्य पदों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी।वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने सरकार पर आरक्षण को लेकर न्यायालय में झूठे हलफनामे देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने पर्यवेक्षकों की घोषणा कर दी है और संभावित प्रत्याशियों के नाम भी तय कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि जनता भाजपा की नीतियों से नाराज है और इस बार निकाय चुनाव में भाजपा को कड़ा झटका मिलेगा।दोनों दलों ने संगठन स्तर पर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, लेकिन आरक्षण का मुद्दा न सुलझने से चुनावी प्रक्रियाओं में देरी हो रही है। अब देखना यह है कि आरक्षण को लेकर सरकार कब स्थिति स्पष्ट करती है और चुनावी प्रक्रिया कब गति पकड़ती है।
(Udaipur Kiran) / राम प्रताप मिश्र