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रामगढ़, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले में इमाम हुसैन की शहादत दिवस पर शोक मनाया गया। मोहर्रम पर ताजिया जुलूस निकाला गया। मुस्लिम भाइयों ने मुहर्रम की 10वीं तारीख को रोज-ए-आशुरा के दिन के तौर पर मनाया। क्योंकि इस दिन पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। मुहर्रम का चांद दिखते ही सभी मुस्लिमों के घरों और इमामबाड़ों में मजलिसों का दौर शुरू हो गया था। इमाम हुसैन की शहादत के गम में मुस्लिम समाज के लोगों ने मातम मनाया और जुलूस निकाले। रामगढ़ शहर के गोलपार, पूर्णी मंडप, नई सराय, मानुवा फुलसराय, सिरका, अरगड्डा के अलावा कुजू, मांडू, भुरकुंडा, पतरातु, चितरपुर, गोला, दुलमी, बरकाकाना क्षेत्र में ताजिया जुलूस निकाला गया।
मुहर्रम के महीने की दसवीं तारीख को पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन शहीद हुए थे। इस गम में हर साल अशुरा के दिन ताजिए निकाले जाते हैं जो कि शोक का प्रतीक होता है। इसी कारण इस महीने को शोक का महीना भी कहते हैं।
वैसे तो मुहर्रम का पूरा महीना बेहद पाक और गम का महीना होता है। लेकिन मुहर्रम का 10वां दिन जिसे रोज-ए-आशुरा कहते हैं, सबसे खास होता है। 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को ही पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था। उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश / शारदा वन्दना
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