
नई दिल्ली, 09 अप्रैल (Udaipur Kiran) । कैश फॉर जॉब मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील रखी कि दोबारा मंत्री बनने से उन्हें मिली जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 26 सितंबर, 2024 को जमानत दी थी।
याचिका में कहा गया है कि सेंथिल बालाजी को जमानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें मंत्री बना दिया गया। इसकी वजह से गवाहों पर प्रभाव और दवाब होगा और वह अपनी गवाही से मुकर सकते हैं। बालाजी ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत निरस्त करने के आदेश की मांग करने वाले याचिकाकर्ता पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक विरोधियों की शह पर ये याचिका दायर की है। बालाजी ने कहा है कि याचिका में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि उन्होंने जमानत की किन शर्तों का उल्लंघन किया है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो जमानत देने के आदेश को वापस नहीं लेगी, क्योंकि इससे दूसरे लोगों को भी लाभ मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस याचिका पर वो नोटिस जारी नहीं कर रही है, लेकिन वो सिर्फ इस दलील पर विचार करेगा, जिसमें यह आशंका जताई गई थी कि जमानत देने से क्या गवाह प्रभावित हो रहे हैं।
बालाजी को 14 जून, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। 12 अगस्त, 2023 को बालाजी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। बालाजी के खिलाफ तमिलनाडु राज्य परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा मामला है। ये सभी नियुक्तियां 2011 और 2015 के बीच सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान की गईं।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह
