– जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सामूहिक मोर्चा तैयार करने पर हुई चर्चा
देहरादून, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर में सोमवार को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सामूहिक मोर्चा तैयार करने और जमीन से मिले सबक विषयक राउंड टेबल डायलाग आयोजित किया गया। इस चर्चा का आयोजन एसडीसी फाउंडेशन ने दून लाइब्रेरी के साथ मिलकर किया था। चर्चा में सामूहिक कार्यवाही के महत्व पर जोर दिया गया, जो जमीनी स्तर के अनुभवों से प्रेरित हो। यह चर्चा एसडीसी फाउंडेशन द्वारा क्यूरेट की गई उत्तराखंड आइडिया एक्सचेंज ऑन क्लाइमेट एंड कॉन्स्टिट्यूशन पहल का हिस्सा थी।
सत्र की शुरुआत दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी के स्वागत संबोधन से हुई। इसके बाद एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने परिचय दिया। उन्होंने युवा कार्यशाला और पैनल चर्चा को लेकर जानकारी साझा की और उत्तराखंड की गंभीर जलवायु समस्याओं का समाधान करने के लिए जनसमुदाय आधारित संवादों पर जोर दिया।
एसडीसी फाउंडेशन के फेलो और यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज स्कूल ऑफ लॉ के सहायक प्रोफेसर गौतम कुमार ने चर्चा की पृष्ठभूमि रखी। उन्होंने नीति निर्माण में जमीनी अनुभवों को शामिल करने और क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय ज्ञान को जलवायु नीति में एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीडर के विशाल सिंह ने पर्यावरणीय गिरावट को केवल जलवायु परिवर्तन से जोड़ने की प्रवृत्ति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने पर्यावरणीय नियमों के सख्त अनुपालन और सिविल सोसाइटी, शिक्षाविदों व राज्य के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। बैफ के दीपक महंता ने बातचीत को सतत कृषि की ओर मोड़ते हुए जलवायु-लचीली कृषि तकनीकों जैसे विविध फसल और साइल रिजनरेशन की वकालत की।
रिसाइकल के रोहित जोशी ने केदारनाथ में प्लास्टिक कचरे के लिए जमा वापसी प्रणाली के माध्यम से 90 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे की वसूली का नवाचारी कचरा प्रबंधन समाधान साझा किया। उन्होंने कचरा प्रबंधन के प्रति जनता में जागरुकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। आइडियल फाउंडेशन के आयुष जोशी ने घरेलू स्तर पर कचरे का सेग्रेगेशन और एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सबिलिटी के ढांचे के माध्यम से कॉर्पोरेट उत्पादकों के साथ जुड़ने की आवश्यकता पर चर्चा की।
नागरिक के तरुण शर्मा ने छोटे शहरों में काम करने के अपने गहरे अनुभव साझा किए और स्थानीय स्तर पर ज्ञान के अभाव, नागरिक भागीदारी की कमी व सरकारी संस्थानों में मौजूदा क्षमताओं के निम्न स्तर पर जोर दिया। काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वाटर के पंकज करगेती ने सौर ऊर्जा के प्रति जागरुकता और इसे अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को शिक्षित करने के महत्व को रेखांकित किया।
बुरांश के जीत बहादुर ने उत्तरकाशी में जलवायु परिवर्तन के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां बदलते मौसम पैटर्न ने कृषि को अस्थिर कर दिया है। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता और नीति परिवर्तन के लिए जन दबाव के महत्व पर जोर दिया। इंजनियस फाउंडेशन के अनिल जोशी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के संदर्भ में व्यापारिक दृष्टिकोण को जलवायु और समुदाय आधारित दृष्टिकोण से समझना महत्वपूर्ण है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज की प्रोफेसर वैशाली ने बौद्धिक संपदा अधिकार के संदर्भ में पारंपरिक ज्ञान की रक्षा के लिए कानूनों की वकालत की। उन्होंने स्वदेशी समुदायों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की क्षमता पर प्रकाश डाला।
सत्र का समापन एक खुले संवाद के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने राज्य और स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ाव के अगले कदमों पर चर्चा की। सभी प्रतिभागियों ने उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए निरंतर संवाद और सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर सहमति व्यक्त की। अनूप नौटियाल ने कार्यक्रम का समापन उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक कार्यवाही के महत्व को फिर से दोहराते हुए किया। युवा पेशेवर जैसे अरुणिमा नैथानी, अदिति डिमरी, किरण रावत, सुमित सिंह और वसीश कुमार के साथ दून लाइब्रेरी के सुन्दर सिंह बिष्ट उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण